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लाला लाजपतराय: स्वत्व स्वाभिमान और राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित

लाला लाजपतराय: स्वत्व स्वाभिमान और राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित

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- रमेश शर्मा स्वाधीनता संघर्ष केवल राजनैतिक या सत्ता के लिये ही नहीं होता। वह स्वत्व, स्वाभिमान, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानसिक अस्मिता के लिये भी होता है। इस सिद्धांत के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले थे पंजाब केसरी लाला लाजपतराय। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को फिरोजपुर में हुआ था। उनका परिवार आर्यसमाज से जुड़ा था। अपने क्षेत्र के सुप्रसिद्ध व्यवसायी उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद संस्कृत के विद्वान थे, उन्हें फारसी और उर्दू का भी ज्ञान था। माता गुलाब देवी भी विदुषी थीं। सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति समर्पण के संस्कार लाला लाजपतराय को बचपन से मिले थे। आर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा...
कभी नहीं भूल सकता लाला लाजपत राय का बलिदान

कभी नहीं भूल सकता लाला लाजपत राय का बलिदान

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- शिवकुमार शर्मा किसी भी व्यक्ति के कार्यों का समापन भी उसके संसार से विदा लेने के साथ ही हो जाता है, परंतु उसके द्वारा समाज के लिए किए गए त्याग, समर्पण, बलिदान और सामाजिक योगदान उसे अमर बनाते हैं। भारत की आजादी की जंग में अंग्रेज सरकार से जूझने वाले सेनानियों में लाल, बाल, पाल का नाम अग्रगण्य है। यह बताना प्रासंगिक होगा कि लाला लाजपत राय का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि एवं बिपिन चंद्र पाल का जन्म अविभाजित भारत के हबीबगंज सदर उप जिला अंतर्गत हुआ जो अब बांग्लादेश में है। इस प्रकार लाल, बाल, पाल तीनों नाम एक साथ होने पर किन्हीं तीन व्यक्तियों के एक साथ होने मात्र की जानकारी ही नहीं देते अपितु तत्कालीन अखंड भारत का बोध कराते हैं। इन तीन विभूतियों में से एक लाला लाजपत राय ने 18 जनवरी 1865 में पंजाब में (अवि...