भगत सिंह पर नयी सुनवाई, लाहौर हाई कोर्ट की नाइंसाफी!
- के. विक्रम राव
एकबार फिर पुष्टि हो गई कि ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की अवैध औलाद है पाकिस्तान। उसके संस्थापक मियां मोहम्मद अली जिन्ना तो गोरे शासकों की कठपुतली रहे। मकसद स्पष्ट था- अखंड भारत को विभाजित कर उसे कमजोर करना। वर्ना लाहौर हाई कोर्ट (16 सितंबर 2023) शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह को फांसी (23 मार्च 1931) वाले मुकदमे की ईमानदार सुनवाई, नए सबूतों के आधार पर पुनः शुरू कर सकती थी। कारण, भगत सिंह को हत्या के मनगढ़ंत जुर्म में सजा दी गई थी। सरदार भगत सिंह को लाहौर (अविभाजित पंजाब) जेल में रखा गया था। वहीं, अंधेरे में फांसी भी दी गई। पहले उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। फिर फांसी। साथ में राजगुरु और सुखदेव को भी शहीद कर दिया।
भगत सिंह पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में मुकदमा थोपा गया था। याचिका में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता वकील इम्तियाज राशिद ...