Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: krishna

कृष्ण और वसंत

कृष्ण और वसंत

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र श्रीकृष्ण भाव पुरुष हैं। परब्रह्म के पूर्ण प्रतीक जो लीला रूप में अनुभवगम्य होते हैं। अक्षय स्नेह के स्रोत रस से परिपूर्ण श्रीकृष्ण इंद्रियों के विश्व में आनंद के निर्झर सरीखे हैं। उनका सान्निध्य चैतन्य की सरसता के साथ सारे जगत को आप्लावित और प्रफुल्लित करता है। श्रीमद्भगवद्गीता में विभूति योग की व्याख्या करते हुए श्रीकृष्ण खुद को ऋतुओं में वसंत घोषित करते हैं : ऋतूनाम् कुसुमाकर: । श्रीमद्भागवत के दशम स्क्न्ध में रास प्रवेश करते हुए उनकी निराली छवि कामदेव को भी लजाने वाली है। गोपियों के सामने भगवान श्रीकृष्ण अपने मुस्कराते हुए मुखकमल के साथ पीताम्बर धारण किए तथा वनमाला पहने हुए प्रकट हुए। उस समय वे साक्षात मन्मथ यानी कामदेव का भी मन मथने वाले लग रहे थे। श्रीकृष्ण अप्रतिम सौंदर्य और लावण्य के आगार हैं तो काम को सौंदर्य के मानदंड की तरह रखा गया है। भारतीय संस्कृति में ...
भारत के तीन स्वप्न राम, कृष्ण और शिव

भारत के तीन स्वप्न राम, कृष्ण और शिव

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित श्रीराम भारत के मन का धीरज हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भी हैं। भारत की अनेक भाषाओं में रामकथा लिखी गई है। दक्षिण भारत में ऋषि कंबन ने रामकथा लिखी है। पहली रामकथा महर्षि वाल्मिकि ने लिखी थी। इसे रामायण की संज्ञा मिली। वाल्मीकि परंपरा में आदिकवि हैं। मध्य काल में महाकवि तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखी। रामचरितमानस में प्राचीन दर्शन है। समाज विज्ञान है। भक्ति का अथाह सागर है। ऐसी लोकप्रिय पुस्तक दुनिया के किसी भी देश में नहीं मिलती। भारत के गांव-गांव रामचरितमानस पढ़ी और गायी जाती है। डॉ. राम मनोहर लोहिया समाजवादी थे। उन्होंने 'राम, कृष्ण और शिव' में राम के व्यक्तित्व पर तथ्यपरक भावप्रवण टिप्पणी की है। लोहिया ने लिखा है रामायण के सभी पात्र अश्रुलोचन हैं। सभी पात्र आंसू बहाते दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने राम, कृष्ण और शिव को भारत के तीन स्वप्न बताया था। राम के व्यक्तित्व का केंद्र मर...
कृष्ण ने गोपाष्टमी से शुरू किया था गो चराना

कृष्ण ने गोपाष्टमी से शुरू किया था गो चराना

अवर्गीकृत
- स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरी भारत में पर्वों को मनाने की एक दीर्घकालीन परम्परा है। भारतीय काल गणना के ज्योतिषीय आधार भारतीय ऋषि मुनियों की "पञ्चाङ्ग संरचना" और उसके अनुसार तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, वार, घटी, पल, ग्रह, योग आदि हैं। अतीत में घटी घटनाएं, पर्वों का आकार और स्वरूप धारण करती हैं। आधुनिक ज्योतिष विज्ञान भी इसकी पुष्टि करता है। वर्ष का कलेण्डर भी इसी आधार पर सुनिश्चित होता है तथा तदनुसार कार्यक्रम होते हैं और एक पर्वों की श्रृंखला चल पड़ती है। इसी क्रम में एक नवबंर को गोपाष्टमी मनाई जाएगी। पांच हजार वर्ष पूर्व द्वापर युग में द्वापर के महानायक, तत्कालीन युगपुरुष श्रीकृष्ण ने भारतीय पर्वों की एक परम्परा का शुभारम्भ अपनी लीलाओं के माध्यम से किया। ये पर्व अधिकांश प्रकृति, पर्यावरण एवं प्रकृति के विभिन्न उपादानों से सम्बंधित हैं। जैसे पर्वतों का संरक्षण, पेड़-पौधों, वनस्पतियों का रक्षण औ...