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ज्ञान चक्षु खोलने में समर्थ है शिकागो व्याख्यान

अवर्गीकृत
- डॉ. वंदना सेन अमेरिका के शिकागो में 11 सितंबर, 1893 को धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के दिए गए व्याख्यान में दुनिया के ज्ञान चक्षु खोलने की सार्म्थय है। एकाग्रचित्त होकर श्रवण किया गया स्वामी विवेकानंद का यह संबोधन एक ऐसे मार्ग का दर्शन कराता है, जो व्यक्ति और राष्ट्र को सकारात्मक बोध कराने वाला है। इस व्याख्यान के दर्शन में भारत के वसुधैव कुटुंबकम का भाव समाहित है। स्वामी विवेकानंद ने अपने संबोधन की शुरुआत- मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों से कर सबको आत्मीयता का बोध कराया। यह बोध वहां उपस्थित मनीषियों के लिए एक नई बात थी। उन्होंने इस प्रकार की कल्पना भी नहीं की थी और न उनके दर्शन में ऐसा था। विवेकानंद की वाणी ने सबके हृदय को छुआ। पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो गया। इन तालियों में ही स्वामी विवेकानंद को जितना समय दिया गया था, वह निकल गया। प्रबुद्ध वर्ग ने स्वामी विवेकानंद...