Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित शिक्षा की जरूरत

भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित शिक्षा की जरूरत

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- डॉ. सौरभ मालवीय शिक्षा को लेकर समय-समय पर अनेक प्रश्न उठते रहते हैं, जैसे कि शिक्षा पद्धति कैसी होनी चाहिए? पाठ्यक्रम कैसा होना चाहिए? विद्यार्थियों को पढ़ाने का तरीका कैसा होना चाहिए? वास्तव में स्वतंत्रता से पूर्व देश में अंग्रेजी शासन था। अंग्रेजों ने अपनी सुविधा एवं आवश्यकता के अनुसार शिक्षा पद्धति लागू की। उनका उद्देश्य भारतीयों को शिक्षित करना नहीं था, अपितु उनका उद्देश्य केवल अपने लिए क्लर्क तैयार करना था। देश की स्वतंत्रता के पश्चात स्वदेशी सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया। स्वतंत्रता के पश्चात देश में बहुत से कार्य करने थे। संभव है कि इस कारण इस ओर ध्यान नहीं गया हो अथवा उस समय के लोगों को अंग्रेजी शिक्षा पद्धति उचित लगी हो। कारण जो भी रहा हो, देश में अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से ही पढ़ाई होती रही। कुछ दशकों पूर्व देश में नई शिक्षा पद्धति की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी तथा इस पर ...
शिक्षा, ज्ञान और नैतिकता

शिक्षा, ज्ञान और नैतिकता

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- गिरीश्वर मिश्र आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। ज्ञान का विस्फोट हो रहा। इस युग की मान्यता है कि ज्ञान अपने आप में ‘सेकुलर’ (यानी निर्दोष!) होता है और उसका किसी तरह के मानवीय मूल्य से कुछ लेना-देना नहीं होता है। वह सबकुछ से परे अर्थात् निरपेक्ष-निष्पक्ष होता है। आज विज्ञान की साखी के साथ (सफ़ेद कोट से सजे) विज्ञापनों की धूम मच रही है। कभी ज्ञान को शक्ति का महान स्रोत घोषित किया गया (नोलेज इज पावर!)। वह छवि आज भी विद्यमान है। विद्या के परिसरों में भी मानविकी (ह्यूमेनिटीज), विज्ञान (साइंस) और प्रौद्योगिकी (टेक्नोलोजी) के आगे बेहद फीकी पड़ रही है। आज विज्ञान से बढ़त पाकर कुछ देश शेष विश्व पर नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। शायद इसी सोच के साथ परमाणु बम जैसे संहारक अस्त्र-शस्त्र भी बनते गए। आज भी संहार की विभीषिका का अनुभव करने के बाद भी नए-नए ज़्यादा से ज़्यादा संहार शक्ति वाले अस्त्...
वर्ल्ड वाइड वेब दिवस: इंटरनेट की मायावी दुनिया

वर्ल्ड वाइड वेब दिवस: इंटरनेट की मायावी दुनिया

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- योगेश कुमार गोयल इंटरनेट ज्ञान और मनोरंजन का ऐसा खजाना है, जिसके माध्यम से किसी एक कोने में बैठे हुए ही आप दुनिया भर की सैर कर सकते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि इंटरनेट के माध्यम से विश्वभर की हर प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियों को एक छोटे से बंद कमरे में रखे कम्प्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन पर समेटकर ला देने वाला मूल मंत्र WWW (वर्ल्ड वाइड वेब) आज हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा है। यही शब्द प्रतिदिन दुनियाभर में करोड़ों कम्प्यूटरों पर असंख्य बार टाइप किया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू’ नामक इंटरनेट की मायावी दुनिया में प्रवेश कराने वाली यह खिड़की कब और कैसे अस्तित्व में आई? वर्ष 1989 में ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू’ नामक इस मायावी शब्द को जन्म दिया था ऑक्सफोर्ड के क्वींस कॉलेज से ग्रेजुएशन कर चुके टिम बर्नर्स ली ने। वर्तमान में वेबपेज से जुड़ने या उस...
ज्ञान केवल सूचना नहीं होता

ज्ञान केवल सूचना नहीं होता

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- हृदयनारायण दीक्षित भाषा मानव जीवन की सर्वोत्तम उपलब्धि है। दुनिया के सभी समाजों के गठन में भाषा ही संवाद का माध्यम होती है। भाषा के प्रयोग का उद्देश्य संवाद होता है अपनी बात को समझाना होता है। भाषा वाक्यों से बनती है और वाक्य शब्दों से। शब्द भाषा के घटक होते हैं। प्रत्येक शब्द के भीतर उसका अर्थ छुपा होता है। पतंजलि ने महाभाष्य में बताया है, 'एक ही शब्द किसी वाक्य में विशेष स्थान में प्रयुक्त होकर भिन्न भिन्न अर्थ देता है। शब्द का सम्यक ज्ञान और सम्यक प्रयोग ही अपेक्षित परिणाम देता है। शब्द की शक्ति बड़ी होती है।' भारत लोकतंत्र के उद्भव का प्रथम स्थान है। यहां वैदिक काल में भी सभा और समितियां जैसी लोकतंत्री संस्थाएं थीं। सुंदर और सरल बोलना सभ्य होना था। सभ्य सभा के योग्य माने जाते थे। भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्राचीनतम जनतंत्र है। हम भारत के लोगों ने संसदीय जनतंत्र अपनाया है। यहां संविधान...
इंटर्नशिप का कार्य ज्ञान, भक्ति और कर्म का त्रिवेणी संगम : शिवराज

इंटर्नशिप का कार्य ज्ञान, भक्ति और कर्म का त्रिवेणी संगम : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने किया सीएम इंटर्न्स बूटकैंप, मुख्यमंत्री यूथ इंटर्नशिप प्रोगाम का शुभारम्भ, इंटर्न को नियुक्ति-पत्र किए वितरित भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि इंटर्नशिप का कार्य (internship work) ज्ञान, भक्ति और कर्म का त्रिवेणी संगम (Triveni confluence of knowledge, devotion and action) है। इससे जुड़कर युवा अपनी जिंदगी का एक नया अध्याय प्रारंभ कर रहे हैं। प्रदेश की प्रगति और विकास के लिए आपकी यह इंटर्नशिप मील का पत्थर साबित होगी। यह दुनिया का सबसे बड़ा इंटर्नशिप प्रोग्राम है। दुनिया के लोग इससे जुड़ गए हैं। मुख्यमंत्री चौहान शनिवार शाम को भोपाल में पुलिस ग्राउण्ड, नेहरू नगर में सीएम इंटर्न्स बूटकैंप, मुख्यमंत्री यूथ इंटर्नशिप प्रोग्राम (मुख्यमंत्री जन सेवा मित्र) के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन अटल...
नई तकनीक से खुलेगा ज्ञान का नया आकाश: मुख्यमंत्री शिवराज

नई तकनीक से खुलेगा ज्ञान का नया आकाश: मुख्यमंत्री शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- जबलपुर के उत्कृष्ट विद्यालय में मप्र की पहली वर्चुअल रियलिटी लैब का उद्घाटन भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने जबलपुर में गुरुवार को गणतंत्र दिवस पर पं. लज्जाशंकर झा उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में वर्चुअल रियलिटी लैब का शुभारंभ (Inauguration of Virtual Reality Lab) किया। इस मौके पर उन्होंने बच्चों से रूबरू होते हुए कहा कि वर्चुअल रियलिटी लैब ज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस नई तकनीक (new technology) से युवा पीढ़ी के ज्ञान को नया विस्तार मिलेगा। साथ ही विद्यार्थियों को अध्ययन के अलग-अलग क्षेत्रों को क़रीब से जानने और समझने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश में ऐसी अत्याधुनिक लैब की संख्या बढ़ाने के लिए रूपरेखा तैयार करेगी। उन्होंने जबलपुर के तीन युवाओं द्वारा अपने स्टार्टअप के माध्यम से स्थापित मध्यप्रद...
ज्ञान, कर्म और भक्ति मार्ग के त्रिवेणी संगम थे प्रमुख स्वामी महाराजः शिवराज

ज्ञान, कर्म और भक्ति मार्ग के त्रिवेणी संगम थे प्रमुख स्वामी महाराजः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- अहमदाबाद में शताब्दी महोत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री चौहान भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि प्रमुख स्वामी महाराज (Pramukh Swami Maharaj) जैसे व्यक्तित्व समाज को नशा मुक्त बनाने (make the society drug free) के लिए जीवन समर्पित करते हैं। इनके प्रयास अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनते हैं। उन्होंने अपने 95 वर्ष के समर्पित जीवन में दीन-दुखियों की सेवा का कार्य किया। तीन प्रमुख मार्ग बताए गए हैं, ज्ञान मार्ग, भक्ति मार्ग और कर्म मार्ग। प्रमुख स्वामी महाराज जी इन सभी का संगम थे। वे ऐसी त्रिवेणी थे, जिन्होंने ज्ञान, भक्ति और कर्म के मार्ग पर अनुसरण के लिए लाखों को प्रेरित किया। मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार देर शाम अहमदाबाद में प्रमुख स्वामी महाराज के शताब्दी महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि गत 15 दिसम्बर से शुरू हुआ यह श...
औपनिवेशिकता से उबरने की चुनौती

औपनिवेशिकता से उबरने की चुनौती

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- गिरीश्वर मिश्र भारत में ज्ञान और शिक्षा की परम्परा की जड़ें न केवल गहरी और अत्यंत प्राचीन हैं बल्कि यहां विद्या को अर्जित करना एक पवित्र और मुक्तिदायी कार्य माना गया है । इसके विपरीत पश्चिम में ज्ञान का रिश्ता अधिकार और नियंत्रण के उपकरण विकसित करना माना जाता रहा है ताकि दूसरों पर वर्चस्व और एकाधिकार स्थापित किया जा सके । उसी रास्ते पर चलते हुए पश्चिमी दुनिया में मूल्य-निरपेक्ष विज्ञान के क्षेत्र का अकूत विस्तार होता गया और उसके परिणाम सबके सामने हैं । ऐतिहासिक परिवर्तनों के बीच विज्ञान की यह परम्परा यूरोप और अमेरिका से चल कर दुनिया के अन्य क्षेत्रों में फैली । इतिहास गवाह है कि औपनिवेशक दौर में पश्चिम से लिए गए विचार, विधियाँ और विमर्श अकेले विकल्प की तरह दुनिया के अनेक देशों में पहुँचे और हाबी होते गए । ऐसा करने करने का प्रयोजन ‘अन्य’ के ऊपर आधिपत्य था । इस प्रक्रिया में अंतर्निहित ए...