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बैसाखी पर विशेषः खालसा सिरजना दिवस में तब्दील हुआ बैसाखी पर्व

बैसाखी पर विशेषः खालसा सिरजना दिवस में तब्दील हुआ बैसाखी पर्व

अवर्गीकृत
- रावेल पुष्प सिखों के पहले गुरु नानक से लेकर पांचवें गुरु अर्जुन देव तक की पूरी गुरु परंपरा भक्ति भाव और अध्यात्म की रही है। वहीं, पांचवें गुरु अर्जुन देव जी की शहादत के बाद छठे गुरु हरगोविंद से इसमें कुछ तब्दीली आनी शुरू हो गई थी। गुरु नानक देव जी ने तो संपूर्ण आध्यात्मिक निर्मल पंथ की नींव रखी थी और कालांतर में ऐतिहासिक घटनाओं के कारण गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की। वैसे सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना कितना कठिन है गुरु नानक देव जी ने तभी इस ओर इशारा भी कर दिया था और कहा था कि इस मार्ग पर चलने वालों को अपना शीश अपनी हथेली पर रखना होता है- इत मारग पैर धरीजै,सिर दीजै काणि न कीजे यानि सत्य और न्याय के मार्ग पर सिर देने में कहीं भी किंतु परंतु नहीं होनी चाहिए। इसी सिद्धांत को सीधे-सीधे परखने के लिए सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने परीक्षा ली। इस दौरान गुरु गोविंद सिंह के ...