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करवा चौथ: प्रेम, समर्पण और संस्कार का पर्व

करवा चौथ: प्रेम, समर्पण और संस्कार का पर्व

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- योगेश कुमार गोयल करवा चौथ प्रेम, समर्पण और संस्कार का पर्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। भारतीय समाज में वैसे तो महिलाएं विभिन्न अवसरों पर अनेक व्रत रखती हैं लेकिन पति को परमेश्वर मानने वाली नारी के लिए इन सभी व्रतों में सबसे अहम करवा चौथ का व्रत है। यह कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला व्रत है। इसे अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है। यह सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत है। यह व्रत महिलाओं के लिए ‘चूड़ियों का त्योहार’ नाम से भी प्रसिद्ध है। महिलाएं अन्न-जल ग्रहण किए बिना यह व्रत रखती हैं। इसे अखंड सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है। इस व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश तथा चन्द्रमा का पूजन करने का विशेष महत्व है। अविवाहित किशोरियोंए युवतियों और सुहागिन महिलाओं द्व...
करवा चौथ: जीवन साथी के पवित्र रिश्तों का पर्व

करवा चौथ: जीवन साथी के पवित्र रिश्तों का पर्व

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- रमेश सर्राफ धमोरा भारत धर्म प्रधान और आस्थावान देश है। यहां साल के सभी दिनों का कोई न कोई महत्व होता। हर दिन पवित्र माना जाता है। भारत में करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। खासतौर पर यह राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब का प्रमुख पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चन्द्रमा दर्शन के बाद सम्पूर्ण होता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलायें करवा चौथ का व्रत श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। यह व्रत हर साल महिलाएं अपने पतियों के लिए करती हैं। यह न केवल एक त्योहार है बल्कि यह पति-पत्नी (जीवनसाथी) के पवित्र रिश्तों का पर्व है। कहने को तो करवा चौथ का त्योहार एक व्रत है लेकिन यह नारी शक्ति और उसकी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, क्योंकि नारी अपने दृढ़ संकल्प से यमराज...