Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: Kargil Vijay Diwas

कारगिल विजय दिवस के शहीदों को नमन

कारगिल विजय दिवस के शहीदों को नमन

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- प्रेम कुमार धूमल देश में राष्ट्रभक्ति का गज़ब का माहौल था ऐसा लगता था सारा भारत एक है, देश की एकता, अखण्डता, सर्वभौमिकता बचाये रखने के लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार था । कारगिल का संघर्ष क्या शुरू हुआ ऐसा लगा जैसे सारा राष्ट्र और राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक देष के लिये कोई भी कुर्बानी देने को तैयार था । विश्व के इतिहास में पहली बार हुआ जब देशाभक्ति से ओत-प्रोत विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के प्रधानमन्त्री, अटल जी सभी चुनौतियों, चेतावनियों और व्यक्तिगत सुरक्षा के खतरों को नज़र अन्दाज करते हुये 2 जुलाई 1999 को सीमा पर तैनात युद्वरत सैनिकों की पीठ थपथपाने के लिये स्वयं सीमा पर जा पहुंचे । आप अनुमान लगा सकते हैं कि प्रधानमन्त्री को अपने साथ सीमा पर खड़ा देखकर सैनिकों का साहस तो सातवें आसमान पर पहुंचना स्वभाविक था । 5 जुलाई 1999 को कारगिल के युद्व क्षेत्र में जाने के बाद श्रीनगर के सैनिक अस...
कारगिल विजय दिवस: नायकों को नमन

कारगिल विजय दिवस: नायकों को नमन

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- योगेश कुमार गोयल देश 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ मना रहा है। दरअसल भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी फौज को बुरी तरह धूल चटा दी थी। भारत-पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ यह युद्ध 60 दिन तक चला था और पाकिस्तान फौज की करारी शिकस्त के बाद 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ था। पाकिस्तान पर भारत की इस जीत को याद करते हुए 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तानी सैनिकों और भाड़े के आतंकवादियों को मारकर या खदेड़कर कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत तमाम बाधाओं को पार करते हुए हमारे वीर जांबाजों ने उन्हें कारगिल से खदेड़कर दुर्गम चोटियों पर जीत का परचम लहराया था लेकिन देश को इसकी बहुत भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। दरअसल इस युद्ध में भारत को विजय दिलाने में भारतीय सेना के सैकड़ों जवा...

कारगिल विजय दिवस: झुंझुनू के लाल, बहादुरी में बेमिसाल

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- रमेश सर्राफ धमोरा देश रक्षा के लिये सेना में शहादत देना राजस्थान की परम्परा रही है। झुंझुनू जिले के गांवों में लोक देवताओं की तरह पूजे जाने वाले शहीदों के स्मारक इस परम्परा के प्रतीक हैं। इस जिले के वीरों ने बहादुरी का जो इतिहास रचा है उसी का परिणाम है कि भारतीय सैन्य बल में उच्च पदों पर सम्पूर्ण राजस्थान की ओर से झुंझुनू जिले का ही वर्चस्व रहा है। झुंझुनू जिले में प्रारम्भ से ही सेना में भर्ती होने की परम्परा रही है तथा यहां के गांवों में घर-घर में सैनिक होता था। सेना के प्रति यहां के लगाव के कारण अंग्रेजों ने यहां एक सैनिक छावनी की स्थापना कर ‘शेखावाटी ब्रिगेड ‘का गठन किया था। जिले के वीर जवानों को उनके शौर्य के लिये समय-समय पर अलंकरणों से नवाजा जाता रहा है। अब तक इस जिले के कुल 120 से अधिक सैनिकों को वीरता पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यह पूरे देश में किसी एक जिले में सर्वाधिक संख्या...