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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा के गौरवशाली 98 वर्ष

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा के गौरवशाली 98 वर्ष

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- बृजनंदन राजू हिन्दू संगठन और राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने के जिस उद्देश्य को लेकर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, उस ध्येय पथ पर संघ निरन्तर बढ़ता जा रहा है। संघ अपनी विकास यात्रा के 98 वर्ष पूर्ण कर चुका है। उपेक्षा व विरोध का सतत सामना करते हुए अत्यंत विपरीत परिस्थितियों से पार पाते हुए संघ कार्य आज अनुकूलता की स्थिति में पहुंचा है। इन 98 वर्षों की यात्रा में हिन्दू संगठन के साथ-साथ आम लोगों का विश्वास जीतने और राष्ट्र जागरण के प्रयास में संघ पूर्णतया सफल रहा है। देश दुनिया में आरएसएस नाम से विख्यात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है। संघ की तुलना किसी दूसरे संगठन से नहीं कर सकते क्योंकि तुलना करने के लिए भी इसके जैसा कोई होना चाहिए। इसीलिए बहुत से लोग स्वार्थवश संघ को बुरा-भला ...
भारत की अमृत यात्रा: महिला नेतृत्व वाली यात्रा

भारत की अमृत यात्रा: महिला नेतृत्व वाली यात्रा

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- जी किशन रेड्डी जैसे ही ऐतिहासिक नारीशक्ति वंदन अधिनियम संसद में पेश किया गया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके पारित होने को सांसदों के लिए अग्निपरीक्षा कहा। यह वास्तव में अग्निपरीक्षा है: समानता और संतुलन के आधार पर भारत के पारंपरिक गौरव को बहाल करने की अग्नि परीक्षा। अग्निपरीक्षा उस सर्वोच्च स्थान को पुनः प्राप्त करने की जिसका लाभ प्राचीनकाल से महिलाओं को मिलता आया है और राजनीतिक गलतफहमियों से ऊपर उठकर नारी शक्ति के लिए एक साथ खड़े होने की अग्निपरीक्षा। आधुनिक लोकतांत्रिक भारत के मंदिर, संसद को अर्धनारीश्वर की भावना का प्रतीक होना चाहिए, जो महिलाओं के लिए समानता और पूर्ण संतुलन का परिचायक है। लैंगिक असमानता और अन्याय से जूझ रही दुनिया में, भारत महिलाओं के प्रति ऐतिहासिक श्रद्धा के प्रतीक के रूप में स्थित है। सदियों से, भारतीय संस्कृति ने महिलाओं को शक्ति के अवतार का रूप दिया है तथा...
ह्यूम से खरगे तक कांग्रेस का सफर, क्या खोया क्या पाया

ह्यूम से खरगे तक कांग्रेस का सफर, क्या खोया क्या पाया

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- ऋतुपर्ण दवे कभी लगता है कि कांग्रेस लक्ष्य से भटकी हुई है, कभी लगता है कि उम्मीद की किरण बाकी है। लेकिन सच यही है जनादेश वक्त के साथ अच्छे-अच्छों को हैसियत बता देता है। चाहे दल हों या राजनीतिज्ञ। आज कर्नाटक जीत के बाद भले कांग्रेस ऊर्जा से भरी होने का भ्रम पाल रही हो लेकिन इस कड़वे सच को मानना ही होगा कि जनसाधारण की रुचि दिनों दिन दूसरे दलों में ज्यादा दिखने लगी है। इसे कोई क्षेत्रवाद का विस्तार कहे या पूरे देश में बरसों बरस एकछत्र शासन कर चुके ऐसे राष्ट्रीय दल की विडंबना जो बहुत पहले अपने ही बिछाए जाल में खुद फंसती चली गई। कुछ यूं उलझी कि जनमानस के मस्तिष्क में कांग्रेस को लेकर उलझी गुत्थी कब सुलझेगी पता नहीं। ये सवाल बेहद अहम और राजनीतिक पण्डितों को भी समझ नहीं आता होगा कि गुणनफल क्या होगा? देश की राजनीति और मतदाताओं की परिपक्व सोच ने तमाम दावों और रणनीतिकारों को कई बार धूल चटाया। आम...

यह भारत जोड़ो नहीं, सत्ता के लिए यात्रा है

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- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में कांग्रेस जिस दोराहे पर खड़ी है, वह भूलभुलैया जैसी स्थिति को प्रदर्शित कर रहा है, क्योंकि कांग्रेस में जो सुधार की आवाजें मुखरित हो रही हैं, उसे नेतृत्व सिरे से नकार रहा है। इसे कांग्रेस का बहुत कमजोर पक्ष कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसा लग रहा है कि नेतृत्व से अलग राय रखने वाले नेताओं की कोई जगह ही नहीं है। अब कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। इसकी कमान राहुल गांधी संभाल रहे हैं। कांग्रेस के लिए बेचैन करने वाली स्थिति यह है कि जिसके नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं, कांग्रेस ने फिर उसी को आगे करके परिवर्तन की आस देख रहे नेताओं को ठेंगा दिखाने का कार्य किया है। ऐसे में प्रश्न यह भी है कि कांग्रेस किसको जोड़ने का प्रयास कर रही है, क्योंकि जो अपने दल के नेताओं को एक सूत्र में पिरोने में सफल नहीं हो पा रहा है, वह किस आधार पर भारत जोड़ने की कल्पना कर...