Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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टीएमयू की इसरो के साथ ऊंची उड़ान

टीएमयू की इसरो के साथ ऊंची उड़ान

अवर्गीकृत
- प्रो. श्याम सुंदर भाटिया तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) मुरादाबाद ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के संग मिलकर एक ऊंची उड़ान भरी है। गर्व की बात यह है कि इसरो ने टीएमयू को अपना नोडल सेंटर बनाने की सहमति जता दी है। इसरो के स्टार्ट प्रोग्राम के तहत इस नोडल सेंटर में यूजी और पीजी स्टूडेंट्स को प्रशिक्षित किया जाएगा। बशर्ते यूजी के फाइनल ईयर के स्टुडेंट्स पात्र होंगे। नोडल सेंटर के जरिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। इस प्रोग्राम के तहत वैज्ञानिकों को स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नवीनतम एवं उत्कृष्ट तकनीकों के अध्ययन के संग-संग रिसर्च करने का स्वर्णिम अवसर मिलेगा। टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन, जीवीसी मनीष जैन और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन ने इसरो की इस हरी झंडी को यूनिवर्सिटी के लिए बड़ा दिन बताते हुए कहा, इसरो ...
एस. सोमनाथ बधाई के पात्र हैं

एस. सोमनाथ बधाई के पात्र हैं

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत में ज्ञान सर्वोपरि उपलब्धि है। भारतीय ज्ञान परम्परा में प्रकृति के सभी प्रत्यक्ष रूपों की जिज्ञासा थी। ज्ञान ही परम सत्ता के वास्तविक दर्शन का उपक्रम भी था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने ज्ञान को सर्वोपरि बताया है। वे उज्जैन में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, 'भारत वैदिक काल से ही ज्ञानी समाज था। इसमें संस्कृत भाषा की विशेष भूमिका रही है। गणित, दर्शन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, तत्व ज्ञान, खगोल, तर्क, व्याकरण, आदि विषय अतिमहत्वपूर्ण हैं। इन विषयों पर संस्कृत में विपुल लेखन हुआ है।' उन्होंने कहा कि, 'संस्कृत दुनिया की प्राचीन भाषा है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर का काव्य रचा गया है। ऋग्वेद का रचनाकाल लगभग साढ़े दस हजार वर्ष प्राचीन है। वैदिक काल में ज्ञान की परिभाषा ...
अंतरिक्ष में कामयाबी के बढ़ते कदम

अंतरिक्ष में कामयाबी के बढ़ते कदम

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- प्रभुनाथ शुक्ल अंतरिक्ष विज्ञान में भारत बड़ी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। अंतरिक्ष की दुनिया में सबसे कम खर्च में हमारे वैज्ञानिकों ने बुलंदी का झंडा गाड़ा है। हम चांद को जीतने निकल पड़े हैं। कभी हम साइकिल पर मिसाइल रखकर लांचिंग पैड तक जाते थे, लेकिन आज हमारे पास अत्याधुनिक तकनीकी उपलब्ध है, जिसका लोहा अमेरिका और दुनिया के तकनीकी एवं साधन संपन्न देश मानते हैं। इसरो ने 14 जुलाई को श्रीहरि कोटा से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान -3 का सफलता पूर्वक प्रक्षेपण कर दिया। यान पृथ्वी की कक्षा में स्थापित भी हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रक्षेपण की सफलता पर वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि अंतरिक्ष में चंद्रयान-3 एक नए चैप्टर की शुरुआत है। अंतरिक्ष में बढ़ते कदम की वजह से चंद्रमा के साथ-साथ अन्य तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इस मिशन का उपयोग हम विभिन्न क्षेत्रों में करे...
मप्रः इसरो की स्पेस ऑन व्हील्स में बच्चों ने देखे चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान

मप्रः इसरो की स्पेस ऑन व्हील्स में बच्चों ने देखे चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान

देश, मध्य प्रदेश
- एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में इसरो की एचबी स्पेस ऑन व्हील्स प्रदर्शनी भोपाल (Bhopal)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इसरो) (Indian Space Research Organization (ISRO)) की मोबाइल बस 'स्पेस ऑन व्हील्स' (Mobile Bus 'Space on Wheels') शुक्रवार को बावड़िया कलां स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) पहुंची। इस बस ने इसरो की उपलब्धियों (ISRO's achievements) व तकनीकियों से सभी विद्यार्थियों सहित आमजन को परिचित करवाया। इसमें भारत के स्पेस प्रोग्राम जैसे मंगलयान और चंद्रयान सहित विविध मॉडल्स एवं प्रदर्शनियां देखने को मिलीं। इसरो व अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में जानेंगे जनजातीय विद्यार्थी जनजातीय कार्य विभाग की उपसचिव मीनाक्षी सिंह ने इस प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि जनजातीय कार्य विभाग प्रदेश भर के अपने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, जनजातीय सीएम राइज विद्यालय, कन्या शि...
अंतरिक्ष में इसरो के बढ़ते कदम

अंतरिक्ष में इसरो के बढ़ते कदम

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- योगेश कुमार गोयल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अंतरिक्ष की दुनिया में निरन्तर कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इसरो के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में कई बड़े मुकाम हासिल किए हैं। अब इसरो ने पिछले दिनों कुल 5805 किलोग्राम वजनी 36 उपग्रह एक साथ लांच कर एक बार फिर नया इतिहास रच दिया। इसरो के बाहुबली कहे जाने वाले सबसे भारी भरकम प्रक्षेपण यान ‘एलएमवी3’ (लांच व्हीकल मार्क-3) ने ब्रिटिश कम्पनी के इन उपग्रहों को लेकर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से उड़ान भरी और इन उपग्रहों को लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) पर लांच कर दिया। इसरो द्वारा इस रॉकेट मिशन कोड का नाम एलएमवी3-एम3/वनवेब इंडिया-2 मिशन रखा गया था। रॉकेट लांच होने के 19 मिनट बाद ही उपग्रहों के अलग होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी और सभी 36 उपग्रह अलग-अलग चरणों में पृथक हो गए। लो अर्थ ऑर्बिट पृथ्व...
इसरो का बाहुबली ‘एलवीएम3-एम2’

इसरो का बाहुबली ‘एलवीएम3-एम2’

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- योगेश कुमार गोयल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22-23 अक्टूबर की रात अपने पहले वाणिज्यिक मिशन के तहत अपने सबसे भारी रॉकेट ‘एलवीएम3-एम2’ के जरिये ब्रिटेन की कम्पनी ‘वनवेब लिमिटेड’ के लिए 36 ब्रॉडबैंड संचार उपग्रहों को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षाओं में स्थापित करके सफलता का नया इतिहास रच डाला। श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष यान से रॉकेट के प्रक्षेपण के करीब 75 मिनट बाद सभी 36 उपग्रह कक्षाओं में स्थापित हो गए, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक घटना है। एक साथ 36 संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कोई आसान कार्य नहीं था लेकिन भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने ऐसी बड़ी चुनौतियों को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए भारत के प्रति भरोसा दुनियाभर में कई गुना बढ़ा दिया है। वनवेब का यह अब तक का 14वां प्रक्षेपण तथा न्यू स्पेस इंडिया के साथ पहला प्रक्षेपण था। ‘वनवेब लिमिटेड’ इसरो ...

इसरो के व्हिकल SSLV-D1 का प्रक्षेपण सफल, लेकिन साथ गए 2 उपग्रहों से टूटा संपर्क

देश
नई दिल्ली । इसरो (ISRO) ने रविवार सुबह 9:18 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से अपने पहले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान SSLV-D1 को पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (EOS-02) और छात्र-निर्मित एक उपग्रह, ‘AzadiSAT’ के साथ लॉन्च किया. रॉकेट (rocket) ने सही तरीके से काम करते हुए दोनों सैटेलाइट्स (satellites) को उनकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया. रॉकेट अलग हो गया. लेकिन उसके बाद सैटेलाइट्स से डेटा मिलना बंद हो गया. ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि इसरो मिशन कंट्रोल सेंटर (isro mission control center) लगातार डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है. हम जैसे ही लिंक स्थापित कर लेंगे, देश को सूचित करेंगे. एसएसएलवी के जरिए इसरो ने जिन दो सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया उनमें EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं. जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा. इसका वजन 142 किलोग्राम है. इसमें म...