Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Introspection

मायावती के लिए आत्मचिंतन का समय

मायावती के लिए आत्मचिंतन का समय

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा हाल ही के राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना व मिजोरम विधानसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का ग्राफ तेजी से गिरा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी पट्टी वाले प्रदेशों में बहुजन समाज पार्टी एक तीसरे विकल्प के रूप में अपनी ताकत का एहसास कराती आई थी। मगर इस बार के विधानसभा चुनाव में बसपा का पूरी तरह सूपड़ा ही साफ हो गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में राजस्थान में बसपा को 4 प्रतिशत वोट व 6 सीटों पर जीत मिली थी। मगर इस बार यहां बसपा 1.82 प्रतिशत वोटों के साथ मात्र दो सीटों पर ही सिमट गई है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में बसपा को मात्र 721037 वोट मिले हैं। मध्य प्रदेश में पिछली बार बसपा को दो सीट व 5.01 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार के बसपा को 3.40 प्रतिशत यानी 14,77,202 वोट तो मिल गए मगर सीट एक भी नहीं मिली। इसी तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पिछली बार...

शिक्षकों के आत्मचिंतन और आत्ममंथन का पर्व बने शिक्षक दिवस

अवर्गीकृत
- सुरेन्द्र किशोरी हर वर्ष पांच सितम्बर को भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इनका जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु के तिरुटन्नी में पांच सितम्बर 1888 को हुआ तथा इन्हें भारतीय दर्शन का इतना गहरा ज्ञान था कि इस विषय पर व्याख्यान देने के लिए दुनिया के कई देशों से इन्हें आमंत्रण मिलते रहता था। लोग इनके व्याख्यानों को बड़ी ही रुचि के साथ सुनते थे और भारतीय दर्शन के मर्म को समझते थे। इनके आकर्षक व्यक्तित्व का सम्मान करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने ''सर'' की उपाधि प्रदान की। एक आदर्श शिक्षक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले स्वतंत्र भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की, ताकि लोग शिक्षकों का सम्मान करें, उनके महत्त्व को समझें। आज भी देश में शिक्षा की क्रांति लाने में सबसे अहम भ...

कभी आत्मावलोकन भी कर लिया करें ?

अवर्गीकृत
- निर्मल रानी हमारे दैनिक जीवन की तमाम समस्यायें हमें प्रतिदिन हर समय प्रभावित करती हैं। और दूसरों के सिर अपनी इन परेशानियों का ठीकरा फोड़ने के आदी हम लोग आनन फ़ानन में इन रोज़मर्रा दरपेश आने वाली समस्याओं का ज़िम्मेदार सरकार या प्रशासन को ठहरा देते हैं। हम कभी भी इन समस्याओं की जड़ों में झांकने और आत्मावलोकन करने की कोशिश ही नहीं करते। उदाहरण के तौर पर बाज़ारों में प्रतिदिन हर समय लगने वाला जाम, पार्किंग की समस्या,जाम पड़े नाले व नालियां,गलियों व सड़कों पर फैली गंदिगी,जगह जगह फैले कूड़े के ढेर,दुर्गन्धपूर्ण वातावरण,रेलवे व बस स्टेशन पर फैली गंदिगी,जगह जगह व्यर्थ बहता पानी,नदी तालाबों के किनारे फैली गंदिगी व दुर्गन्ध,धुआं,वायु तथा ध्वनि प्रदूषण जैसी अनेकानेक ऐसी समस्यायें हैं जिनका सामना हमें चाहे अनचाहे रूप से लगभग प्रतिदिन ज़रूर करना पड़ता है। और हम सरकार,ज़िला प्रशासन अथवा स्थानीय निका...