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एकात्म मानववाद का सच होता सपना

अवर्गीकृत
- श्याम जाजू भारतीय राजनीति को नया वैचारिक धरातल देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की इस बार रविवार को 106वीं जयंती है। हर वर्ष भाजपा, केंद्र और प्रदेशों में इसकी सरकारें अनेक कार्यक्रम कर पंडित जी और उनके वैचारिक दर्शन 'एकात्म मानववाद' पर चिंतन करती हैं तथा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। पर भाजपा से परे अन्य दलों और सामान्य-जन के बीच इस पर चर्चा न के बराबर होती है। यूं कि दीनदयाल सिर्फ भाजपा के ही हों! दुर्भाग्य से 20वीं सदी के इस विलक्षण विचारक के बारे में देश में बहुत कम जानकारी है। जो जानते भी हैं, वे भी इतना ही जानते हैं कि भाजपा रूपी वटवृक्ष की जड़ों को जनसंघ के रूप में सींचनेवाले उपाध्याय ही थे। मात्र 52 वर्ष की उम्र में पं दीनदयाल चले गए, पर अपने पीछे इतना कुछ छोड़ गए कि इस देश के राष्ट्रवादी उनके ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकेंगे। जिस संगठन के पौधे को उन्होंने सींचा, वह आज भाजपा के ...