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आरबीआई का अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान

आरबीआई का अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान

देश, बिज़नेस
मुंबई (Mumbai)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI)) ने वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी (Inflation expected 4.5 percent.) रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई का यह अनुमान चालू वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 फीसदी के अनुमान की तुलना में कम है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das.) ने गुरुवार को यहां द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अगले साल मानसून सामान्य रहने पर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके पहली तिमाही में पांच फीसदी, दूसरी तिमाही में चार फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.7 फीसदी रहने का अनुमान है। ...
विकास को मिल रही मजबूती, नियंत्रण में आ रही है मुद्रास्फीति: शक्तिकांत दास

विकास को मिल रही मजबूती, नियंत्रण में आ रही है मुद्रास्फीति: शक्तिकांत दास

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI) Governor) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने गुरुवार को कहा कि भारत में आर्थिक विकास मजबूत (Strong economic growth in India) हो रहा है, जबकि अंतर्निहित गतिशीलता और विवेकपूर्ण नीति के कारण मुद्रास्फीति भी नियंत्रण (inflation also controlled) में आ रही है। शक्तिकांत दास ने टोक्यो में एक संगोष्ठी में आरबीआई के वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिन टेक) परिवेश का जिक्र करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह ग्राहक केंद्रित है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि आरबीआई पूरी तरह से सतर्क है। दास ने कहा कि मौद्रिक नीति का रुख आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के साथ महंगाई को काबू में लाने पर है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बेहतर संचालन व्यवस्था, प्रभावी निरीक्षण, नैतिक रूप से उपयुक्त गतिविधियां और जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित कर...
भरोसेमंद वृद्धि के लिए मुद्रास्फीति को काबू में रखना मेरी प्राथमिकताः वित्त मंत्री

भरोसेमंद वृद्धि के लिए मुद्रास्फीति को काबू में रखना मेरी प्राथमिकताः वित्त मंत्री

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भरोसेमंद आर्थिक वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए महंगाई को काबू में करना सरकार की प्राथमिकता है। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए मेरी प्राथमिकता मुद्रास्फीति को काबू में रखने की है। सीतारमण ने नई दिल्ली में जी-20 के आर्थिक मंच बी-20 भारत 2023 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लंबी अवधि तक बढ़ी हुई ब्याज दरें आर्थिक सुधार के रास्ते में आ सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक सुधारों की रफ्तार तेज करने में सफल रहा है। इसलिए अप्रैल-जून तिमाही की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े अच्छे रहने चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक पूंजीगत व्यय बढ़ाने का बजट में ऐलान किए जाने के बाद निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के सकारात्मक संकेत भी नजर आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि अगले कुछ साल में सतत वैश्विक आर्थिक...
महंगाई पर काबू पाने के लिए बफर स्टॉक से तुअर दाल देगी सरकार

महंगाई पर काबू पाने के लिए बफर स्टॉक से तुअर दाल देगी सरकार

देश, बिज़नेस
-तुअर दाल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने उठाया कदम नई दिल्ली (New Delhi)। सरकार (Government) ने भारतीय बाजार (Indian market) में आयातित स्टॉक (imported stock) आने तक अरहर दाल (tur dal) को राष्ट्रीय सुरक्षित भंडार (बफर स्टॉक) (National Reserve - Buffer Stock)) से एक मूल्यांकित और लक्षित तरीके से जारी करने का निर्णय लिया है। केंद्र ने यह कदम उपभोक्ताओं को तुअर दाल यानी अरहर दाल की किफायती दामों पर उपलब्धता बढ़ाने के लिए उठाया है। खाद्य मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नाफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) को पात्र मिल मालिकों के बीच ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से तुअर दाल का निपटान करने का निर्देश दिया है, ताकि उपभोक्ताओं के लिए तैयार तुअर दाल के उपलब्ध स्टॉक को बढ़ाया जा सके। इससे पहले सरकार ने जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोक...
महंगाई के खिलाफ लड़ाई जारी, ब्याज दरों में बदलाव हमारे कंट्रोल में नहीं: आरबीआई गवर्नर

महंगाई के खिलाफ लड़ाई जारी, ब्याज दरों में बदलाव हमारे कंट्रोल में नहीं: आरबीआई गवर्नर

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India -RBI Governor) के गवर्नर शक्तिकांत (Shaktikanta Das) दास का कहना है कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई (Fight against inflation continues) जारी है लेकिन ब्याज दरों में बदलाव (change in interest rates) हमारे कंट्रोल में नहीं (not control) है। यह फैसला मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) (Monetary Policy Committee (MPC)) स्थिति को देखते हुए लेती है। दास ने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली स्थिर बनी हुई है। शक्तिकांत दास ने बुधवार को यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सालाना सत्र 2023 को संबोधित करते हुए यह बात कही। आरबीआई गवर्नर ने महंगाई को लेकर कहा कि इसके खिलाफ लड़ाई जारी है। उन्होंने कहा कि ब्याज दर में वृद्धि को रोकना उनके हाथ में नहीं है, यह उस समय की जमीनी स्थिति पर निर्भर करता है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आंकड़े इस ओर इशारा ...
देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर, RBI गवर्नर बोले- पीछे छूटा महंगाई का बुरा दौर

देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर, RBI गवर्नर बोले- पीछे छूटा महंगाई का बुरा दौर

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। देश की अर्थव्यवस्था (country's economy) और वित्तीय क्षेत्र (financial sector) स्थिर (stable) है। महंगाई (Dearness) का बुरा दौर पीछे छूट चुका है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Reserve Bank of India (RBI) Governor Shaktikanta Das) का यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने तथा फर्स्ट रिपब्लिक बैंक पर बंद होने खतरे बीच आया है। शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कोच्चि में फेडरल बैंक के संस्थापक केपी होर्मिस के स्मारक व्याख्यान में कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर है। आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को आगाह किया कि संपत्ति और देनदारी में किसी तरह की असमानता या गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन दोनों में गड़बड़ी वित्तीय स्थिरता के लिए नुकसानदेह हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि डॉलर की जोरदार मजबूती के बावजूद रुपये ने द...
पाकिस्तान का हाल, बिल्कुल बेहाल

पाकिस्तान का हाल, बिल्कुल बेहाल

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक पाकिस्तान इस समय दक्षिण एशिया का सबसे गया बीता देश बन गया है। यों तो श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और बांग्लादेश की भी हालत अच्छी नहीं है। इन सभी देशों की अर्थव्यवस्था संकट में है लेकिन पाकिस्तान में महंगाई इस कदर छलांग मार रही है कि आम लोगों का रोजाना का भरण-पोषण भी मुश्किल हो गया है। पेट्रोल पौने तीन सौ रुपये लीटर, गेहूं सवा सौ रु. किलो, टमाटर ढाई सौ रु. किलो और चिकन साढ़े सात सौ रु. किलो हो गया है। लोग घी-तेल की छीनाझपटी पर उतारू हो गए हैं। सरकार ने अपने लघु बजट में नागरिकों पर तरह-तरह के नए टैक्स ठोक दिए हैं। विदेशी मुद्रा का भंडार भी लगभग खाली हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को 1.1 बिलियन डाॅलर का कर्ज देने को तैयार है लेकिन उसकी शर्त है कि पाकिस्तान की सरकार पहले अपनी आमदनी बढ़ाये। कर्ज में डूबी सरकार का अब एक ही नारा है- ‘मरता, क्या नहीं करता?’ वित्तमंत...
रेपो दर में वृद्धि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित कर रुपए को करेगी मजबूत

रेपो दर में वृद्धि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित कर रुपए को करेगी मजबूत

अवर्गीकृत
- प्रह्लाद सबनानी दिनांक 08 फरवरी 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार पुनः रेपो दर में 25 आधार बिंदुओं की वृद्धि करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचा दिया है। मई 2022 के बाद से भारतीय रिजर्व बैंक ने छठी बार रेपो दर में यह वृद्धि की है एवं अब कुल मिलाकर 250 आधार बिंदुओं की वृद्धि रेपो दर में की जा चुकी है। हालांकि, भारत के कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसका अनुमान पूर्व से ही लगाया जा रहा था क्योंकि एक तो मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में बनाए रखना बहुत आवश्यक है और दूसरे वैश्विक स्तर पर अभी भी, विशेष रूप से विकसित देशों में, मुद्रा स्फीति की दर लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई है एवं ये देश इसे नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करते जा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रान्स, जर्मनी आदि देशों ने अभी हाल ही में ब्याज दरों में 25 आधार बिंदुओं से लेकर 50 आधार बिंदुओं तक की वृद...
गलत नीतियों से पाकिस्तान तबाही के कगार पर

गलत नीतियों से पाकिस्तान तबाही के कगार पर

अवर्गीकृत
- डॉ. अनिल कुमार निगम शासकों की गलत नीतियों के चलते आज पाकिस्तान तबाही के मुहाने पर खड़ा है। महंगाई आसमान छू रही है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। वह विदेशी कर्ज तले दबा हुआ है। जनता रोजी और रोटी के लिए न केवल तरस रही है बल्कि एक दूसरे की जान लेने पर अमादा है। पड़ोसी देश श्रीलंका की तरह ही पाकिस्तान के कंगाली में डूबने से भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। अगर पाकिस्तान की स्थिति और खराब होती है तो यहां पर चीन सहित अन्य वैश्विक शक्तियों का हस्तक्षेप बढ़ सकता है, और अगर ऐसा होता है तो यह भारत के लिए प्रतिकूल स्थिति होगी। इसलिए भारत को इस स्थिति से कूटनीतिक तरीके से निबटना होगा। वास्तविकता तो यह है कि पाकिस्तान के शासकों की नीतियां अपने देश के जन्म के साथ ही विकास की जगह विध्वंसात्मक रही हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान में कभी लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सका और आजादी के बाद आधे से अधिक अ...