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दीपावली: प्रकाश सनातन ज्योतिर्गमय की आकांक्षा

दीपावली: प्रकाश सनातन ज्योतिर्गमय की आकांक्षा

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- हृदयनारायण दीक्षित प्रकृति विराट है। अनंत आयामी है। बहुरूपवती है। यह सदा से है। प्रतिपल नए रूप में होती है। सभी रूप दर्शनीय हैं लेकिन इसकी श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति प्रकाश है। छान्दोग्य उपनिषद् के अनुसार 'प्रकृति का समस्त सर्वोत्तम प्रकाश रूप है।' सूर्य प्रकृति का भाग हैं। वैदिक वांग्मय में देवता हैं। सहस्त्र आयामी प्रकाशदाता हैं। जहां जहां प्रकाश की सघनता वहां वहां दिव्यता। वैदिक पूर्वज प्रकृति में भरी पूरी प्रकाश ऊर्जा का केन्द्रक न्यूक्लियस जानना चाहते थे-पृच्छामि तवां भुवनस्य नामिः?। जिज्ञासा बड़ी है। कठोपनिषद्, मुण्डकोपनिषद् व श्वेताश्वतर उपनिषद् में उसी केन्द्र की बात कही गई है 'उस केन्द्र पर सूर्य प्रकाश नहीं। चन्द्र किरणों का भी नहीं। न विद्युत और न अग्नि लेकिन उसी एक ज्योति केन्द्र से यह सब प्रकाशित है।' अष्टावक्र ने राजा जनक को बताया कि वही एक ज्योति-ज्योर्तिएकं है। प्रकाश प्रा...