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भारतीय वेद और विश्व शांति की प्रार्थना

भारतीय वेद और विश्व शांति की प्रार्थना

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत अव्याख्येय है। राष्ट्र रूप में भारत की व्याख्या कठिन है। यह सामान्य राष्ट्र राज्य नहीं है। भूमि का साधारण खण्ड नहीं है। सामान्य इतिहास या भूगोल नहीं है। इस धरती के लोग सदियों से व्यक्तिगत हित की तुलना में विश्व लोकमंगल की आराधना में संलग्न रहे हैं। भारत की अनुभूति संसार में अद्वितीय है। यह एक प्रेमपूर्ण गीत है। हम सब के अंतस का छंदस है भारत। भारत और भारतीय संस्कृति विश्व के विद्वानों के लिए शोध का विषय रहे हैं। ऋग्वेद में एक सुंदर मंत्र में भारत बोध की झांकी है, 'हे सोम देव जहां सदा नीरा नदियां बहती हैं। प्रचुर अन्न होता है। कृषि धन धान्य देती है। जहां मुद, मोद, प्रमोद विस्तृत हैं। हम उसी भूखंड में आनंदित रहना चाहते हैं।' संविधान की उद्देशिका 'हम भारत के लोग' वाक्य से प्रारम्भ होती है। उद्देशिका के 4 शब्द महत्वपूर्ण है। हम भारत के लोगों की राष्ट्रीय संरचना का आध...