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जीवन में संतुलन के लिए प्रकृति संरक्षण जरूरी

जीवन में संतुलन के लिए प्रकृति संरक्षण जरूरी

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- योगेश कुमार गोयल विश्वभर में आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण के चलते प्रकृति के साथ बड़े पैमाने पर खिलवाड़ हो रहा है। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन और प्रकृति के साथ निर्मम खिलवाड़ का ही नतीजा है कि पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने के कारण मनुष्यों के स्वास्थ्य पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ ही रहा है, जीव-जंतुओं की अनेक प्रजातियां भी लुप्त हो रही हैं। विश्वभर में मौसम चक्र में निरन्तर आते बदलाव और बिगड़ते पर्यावरणीय संतुलन के कारण पेड़-पौधों की अनेक प्रजातियों के अलावा जीव-जंतुओं की कई प्रजातियों के अस्तित्व पर भी अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता परिषद, ‘इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज’ (आइपीबीईएस) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में करीब 10 लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है क्योंकि जैव विविधता और पारिस्थितिकी...
औद्योगीकरण और यूपी का ग्लोबल अध्याय

औद्योगीकरण और यूपी का ग्लोबल अध्याय

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कृषि के लिए उपजाऊ जमीन के अलावा खाद और पानी की भी आवश्यकता होती है। इनमें से किसी भी तत्व का अभाव या कमी हो तो अच्छी फसल की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसी प्रकार उत्तम निवेश और औद्योगीकरण के लिए भी आवश्यक तत्व होते हैं। यह हैं- कानून व्यवस्था, पर्याप्त बिली अपूर्ति, लैंड बैंक कनेक्टिविटी और व्यापार सुगमता की बेहतर स्थिति आदि। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के फौरन बाद ही इन सभी मोर्चों पर एक साथ कार्य शुरू किया। हालांकि यह सब उनको विरासत में नहीं मिला। बावजूद इसके उनके प्रयास सफल हुए। पिछला कार्यकाल स्वर्णिम रहा। इनवेस्टर्स समिट ने मजबूत इमारत तैयार की। हजारों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों का शिलान्यास हुआ। दूसरा कार्यकाल भी इस दिशा में नई इबारत लिख रहा है। उनपर कार्य प्रगति पर है। योगी सरकार यूपी को देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में बढ़ रही है। ग्...