जय श्रीराम, अब होगा प्राचीन भारतीय विज्ञान का पुनरुत्थान
- प्रमोद भार्गव
अयोध्याधाम में श्रीराम मंदिर निर्माण के साथ राम की पुरातन एवं सनातन ऐतिहासिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की स्थापना भी हो जाएगी। अब विभिन्न रामायणों में दर्ज उस विज्ञान को भी मान्यता देने की जरूरत है, जिन्हें वामपंथी पूर्वाग्रहों के चलते वैज्ञानिक एवं बुद्धिजीवी न केवल नकारते रहे हैं, बल्कि इनकी ऐतिहासिकता को भी कपोल-कल्पित कहकर उपहास उड़ाते रहे हैं। अतैव यह समय प्राचीन भारतीय विज्ञान के पुनरुत्थान का भी काल है, क्योंकि रामायण और महाभारत कथाएं नाना लोक स्मृतियों और विविध आयामों में प्रचलित बनी रहकर वर्तमान हैं। इनका विस्तार भी सार्वभौमिक है। देश-दुनिया के जनमानस में राम-कृष्ण की मूर्त-अमूर्त छवि बनी हुई है। शायद इसीलिए भवभूति और कालिदास ने रामायण को इतिहास बताया। वाल्मीकि रामायण और उसके समकालीन ग्रंथों में ‘इतिहास’ को ‘पुरावृत्त’ कहा गया है।
गोया, कालिदास के ‘रघ...