बच्चों का यौन शोषण और भारतीय परिप्रेक्ष्य
- प्रियंक कानूनगो
भारत सदा से ही अपने मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश के कारण अलग पहचान के साथ विश्व का मार्गदर्शन करता आ रहा है। हमारी संस्कृति और समाज चिरकाल से ही ऐसे मजबूत मूल्यों पर खड़ा है, जिसने अनेकों विपरीत परिस्थितियों में भी अपने को कायम रखते हुए न सिर्फ अपना बल्कि विश्व के विकास को भी गति दी है। किंतु हमारी यही विलक्षणता अकसर ऐसी शक्तियों के निशाने पर रही है जो अपनी संस्कृति और सामाजिक ढांचे को हम पर थोपना चाहते हैं। हमारा इतिहास ऐसे अनेकों उदाहरणों से पटा पड़ा है जब हमने अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए बलिदान दिए हैं।
हालांकि इतिहास के स्थान पर वर्तमान में होने वाले सांस्कृतिक आक्रमणों का स्वरूप बदल चुका है। वर्तमान में अपने सांस्कृतिक मूल्यों को थोपने के लिए बच्चों और टीनेजर को निशाना बनाया जा रहा है। कई मायनों में किसी संस्कृति को अपहृत करने का यह सबसे आसान तरीका ...