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हिन्दुत्व, भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पहचान

हिन्दुत्व, भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पहचान

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- डॉ. प्रशांत बड़थ्वाल  हिन्दुत्व ऐसी अवधारणा है जो भारतीय समाज और राजनीति में गहरी जड़ें जमाए हुए है। यह शब्द केवल एक धार्मिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि एक जीवन दर्शन, सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय चेतना का भी प्रतीक है। हिन्दुत्व को समझने के लिए, जैसा कि कहा गया है, व्यक्ति को सर्वप्रथम 'स्व' को जागृत करना होगा। यह आत्म-जागृति की प्रक्रिया न केवल व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज और राष्ट्र के स्तर पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिन्दुत्व की अवधारणा को समझने के लिए, हमें इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक आयामों का गहन अध्ययन करना होगा। यह विचारधारा भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन ज्ञान और परंपराओं से उत्पन्न हुई है, लेकिन समय के साथ इसने कई परिवर्तन और विकास देखे हैं। आधुनिक संदर्भ में, हिन्दुत्वने एक राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन का रूप ले लिया है, जो भा...
प्रसन्नता भारतीय राष्ट्रभाव का अंग

प्रसन्नता भारतीय राष्ट्रभाव का अंग

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- हृदयनारायण दीक्षित संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास समाधान नेटवर्क की हाल में जारी विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट की खासी चर्चा है। प्रसन्नता रिपोर्ट हर साल 20 मार्च के आसपास जारी की जाती है। वर्ष 2023 की रिपोर्ट में 136 देशों को शामिल किया गया है। प्रसन्नता को मापने के लिए छह प्रमुख आधार बताए गए हैं। पहला सामाजिक सहयोग है। आय, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति भी आधार हैं। ताजा रिपोर्ट में फिनलैंड प्रथम है। डेनमार्क दूसरा है। तीसरा आइसलैंड है। रिपोर्ट में अफगानिस्तान को सबसे बुरा प्रदर्शनकर्ता बताया गया है। 136 देशों की सूची में भारत को 125वां स्थान दिया गया है। वर्ष 2022 में 146 देशों में भारत 136वें स्थान पर था। रिपोर्ट की मानें तो भारत नेपाल, चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पडोसी देशों से भी पीछे है। राष्ट्रीय प्रसन्नता सूचकांक की धारणा 1972 में भूटान से प्रारम्भ हुई थ...