हिन्दुत्व, भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पहचान
- डॉ. प्रशांत बड़थ्वाल
हिन्दुत्व ऐसी अवधारणा है जो भारतीय समाज और राजनीति में गहरी जड़ें जमाए हुए है। यह शब्द केवल एक धार्मिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि एक जीवन दर्शन, सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय चेतना का भी प्रतीक है। हिन्दुत्व को समझने के लिए, जैसा कि कहा गया है, व्यक्ति को सर्वप्रथम 'स्व' को जागृत करना होगा। यह आत्म-जागृति की प्रक्रिया न केवल व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज और राष्ट्र के स्तर पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिन्दुत्व की अवधारणा को समझने के लिए, हमें इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक आयामों का गहन अध्ययन करना होगा। यह विचारधारा भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन ज्ञान और परंपराओं से उत्पन्न हुई है, लेकिन समय के साथ इसने कई परिवर्तन और विकास देखे हैं। आधुनिक संदर्भ में, हिन्दुत्वने एक राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन का रूप ले लिया है, जो भा...