नेता प्रतिपक्ष और भारतीय लोकतंत्र
- डॉ. नुपूर निखिल देशकर
भारतीय लोकतंत्र को यह जहरीला घूंट अब बार-बार पीना पड़ेगा। नेता प्रतिपक्ष के रूप में अभिभाषण पर बोलते हुए राहुल गांधी के भीतर का वह सब बाहर आ गया है जो दस साल से दबा छिपा था। चुनाव परिणामों से संजीवनी प्राप्त राहुल ने भले ही समूचा विष एक साथ उगल डाला हो लेकिन उन्होंने भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं को बार बार प्रतिवाद करने पर मजबूर कर दिया। इतना अधिक उद्वेलित किया कि न केवल राजनाथ सिंह,न केवल अमित शाह अपितु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे शीर्ष नेताओं को बीच बीच में खड़े होकर जवाब देने पर मजबूर होना पड़ा। एक तरह से यह राहुल के झूठ की जीत और बीजेपी टॉप लीडरशिप की पराजय है।
राहुल गांधी हिन्दुत्व, भाजपा और संघ को सीधे सपाट ढंग से कोसते हुए सदन में पहली बार बेलगाम नेता के बतौर सामने आए। उनका यह बदला हुआ रूप आने वाले दिनों में एक नई राजनीति की ओर इशारा कर रहा है। जाहिर...