Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: Indian Democracy

नेता प्रतिपक्ष और भारतीय लोकतंत्र

नेता प्रतिपक्ष और भारतीय लोकतंत्र

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- डॉ. नुपूर निखिल देशकर भारतीय लोकतंत्र को यह जहरीला घूंट अब बार-बार पीना पड़ेगा। नेता प्रतिपक्ष के रूप में अभिभाषण पर बोलते हुए राहुल गांधी के भीतर का वह सब बाहर आ गया है जो दस साल से दबा छिपा था। चुनाव परिणामों से संजीवनी प्राप्त राहुल ने भले ही समूचा विष एक साथ उगल डाला हो लेकिन उन्होंने भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं को बार बार प्रतिवाद करने पर मजबूर कर दिया। इतना अधिक उद्वेलित किया कि न केवल राजनाथ सिंह,न केवल अमित शाह अपितु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे शीर्ष नेताओं को बीच बीच में खड़े होकर जवाब देने पर मजबूर होना पड़ा। एक तरह से यह राहुल के झूठ की जीत और बीजेपी टॉप लीडरशिप की पराजय है। राहुल गांधी हिन्दुत्व, भाजपा और संघ को सीधे सपाट ढंग से कोसते हुए सदन में पहली बार बेलगाम नेता के बतौर सामने आए। उनका यह बदला हुआ रूप आने वाले दिनों में एक नई राजनीति की ओर इशारा कर रहा है। जाहिर...
भारतीय जनतंत्र पूर्वजों के सचेत कर्मों का प्रसाद

भारतीय जनतंत्र पूर्वजों के सचेत कर्मों का प्रसाद

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- हृदयनारायण दीक्षित एक साथ चुनाव पर विचार करने वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाई गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। इस रिपोर्ट का विरोध भी प्रारम्भ भी हो गया है। एक साथ चुनाव का विषय देश के हित में है। लेकिन इस रिपोर्ट की सिफारिशों का विरोध भी हो रहा है। बताया जाता है कि यह रिपोर्ट 18000 पृष्ठ की है। इसे ठीक से पढ़े जाने और तथ्यों के विवेचन का काम बड़ा है। विरोध करने वाले भी संभवतः इस रिपोर्ट को पूरी तौर पर पढ़े बिना ही अपने निष्कर्ष निकाल रहे हैं। भारतीय जनतंत्र पूर्वजों के सचेत कर्मों का प्रसाद है। सभा समितियां ऋग्वैदिक काल में ही थीं। संविधान निर्माताओं ने ब्रिटिश तर्ज का संसदीय जनतंत्र अपनाया। अनेक संवैधानिक संस्थाएं गढ़ी। केन्द्रीय स्तर पर संसद बनी। केन्द्र को संसद...
इंदिरा का आपातकाल और लोकनायक जेपी

इंदिरा का आपातकाल और लोकनायक जेपी

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- मृत्युंजय दीक्षित भारतीय लोकतंत्र के महानायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ जब देश विदेशी सत्ता के अधीन था और स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सारन और पटना जिले में हुई । वे विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता के प्रेमी थे और पटना में बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय व विसकांसन विवि में अध्ययन किया। वहां पर अपने खर्चे को पूरा व नियंत्रित करने के लिए खेतों व रेस्टोरेंट में काम किया। वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए। उन्होनें एमए की डिग्री प्राप्त की। इसी बीच उनकी माता जी का स्वास्थ्य काफी बिगड़ने लगा जिसके कारण वे अपनी पढ़...

भारतीय लोकतंत्र के दो दीमक

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लाल किले के भाषण में देशवासियों को प्रेरित करने के लिए कई मुद्दे उठाए लेकिन दिनभर टीवी चैनलों पर पार्टी प्रवक्ता सिर्फ दो मुद्दों को लेकर एक-दूसरे पर जमकर प्रहार करते रहे। उनमें पहला मुद्दा परिवारवाद और दूसरा मुद्दा भ्रष्टाचार का रहा। यद्यपि मोदी ने किसी परिवारवादी पार्टी का नाम नहीं लिया और न ही किसी नेता का नाम लिया लेकिन उनका इशारा दो-टूक था। वह था कांग्रेस की तरफ। यदि कांग्रेस मां-बेटा या भाई-बहन पार्टी बन गई है तो, जो दुर्गुण उसके इस स्वरूप से पैदा हुआ है, वह किस पार्टी में पैदा नहीं हुआ है? यह ठीक है कि कोई भी अखिल भारतीय पार्टी कांग्रेस की तरह किसी खास परिवार की जेब में नहीं पड़ी है। मगर आज अधिकतर पार्टियां प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम नहीं कर रही हैं। इनमें आंतरिक लोकतंत्र लकवाग्रस्त हो चुका है। एक नेता या मुट्ठीभर नेता...