छठ पूजा और भारतीय संस्कृति
- श्याम जाजू
"भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। ये वंदन की धरती है, ये अभिनन्दन की भूमि है । ये अर्पण की भूमि है ये तर्पण की भूमि है। इसकी नदी-नदी हमारे लिए गंगा है, इसका कंकर-कंकर हमारे लिए शंकर है।"- यह पक्तियां परम श्रद्धेय स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की हैं। यह मात्र पंक्ति नहीं अपितु भारत के प्रत्येक नागरिक के हृदय की अभिव्यक्ति है। सनातन संस्कृति का यह देश आदिकाल से राष्ट्र भूमि के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देने वालों की भूमि रहा है। हमारी संस्कृति ने हमें इंसान के साथ जीव-जंतु, पेड़-पौधे, सूर्य-चंद्रमा, पृथ्वी और आकाश सभी की आराधना करना सिखाया है। हम पृथ्वी को मां मानते हैं और प्रकृति को माता पृथ्वी का श्रृंगार। इसी महान प्रकृति के उपासना का पर्व है महापर्व छठ।
सूर्य उपासना एवं लोक आस्था के महापर्व छठ को हम सिर्फ त्योहार नहीं अपितु अपना संस्कार मानते है...