सबसे बड़ा सवाल… फिर क्यों चाहिए बाहरी मुसलमानों को भारत की नागरिकता?
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
केंद्र की मोदी सरकार एक अच्छी मंशा से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लेकर आई है। किंतु देश विरोधी शक्तियां इसे लेकर जनमानस के बीच जिस तरह का नैरेटिव सेट करने के प्रयास में लगी हैं, वह बहुत ही खतरनाक है। 2019 की तरह ही इस विषय पर फिर से देश में अराजकता पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। भारत के नागरिक मुसलमानों को भड़काने की कोशिशें शुरू हो गई हैं, यह कहकर कि उनके अधिकारों का हनन है। मुसलमानों में डर का माहौल यहां तक बनाया जा रहा है कि ''यह देश के 17 करोड़ मुसलमानों को संदेश है कि वे अब कागज निकालें'' ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता कह रहे है, "आप क्रोनोलॉजी समझिए, पहले चुनाव का मौसम आएगा फिर सीएए के नियम आएंगे।...सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता है।....