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लोकसभा में क्यों घट रही स्वतंत्र उम्मीदवारों की तादाद

लोकसभा में क्यों घट रही स्वतंत्र उम्मीदवारों की तादाद

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा बुजुर्ग हिन्दुस्तानियों को याद होगा ही कि एक दौर में वी.के. कृष्ण मेनन, आचार्य कृपलानी, एस.एम. बनर्जी, मीनू मसानी, लक्ष्मीमल सिंघवी, इंद्रजीत सिंह नामधारी, करणी सिंह, जी.जी. स्वैल जैसे बहुत सारे नेता आजाद उम्मीदवार होते हुए भी लोकसभा का कठिन चुनाव जीत जाते थे। पर अब इन आजाद उम्मीदवारों का आंकड़ा लगातार सिकुड़ता ही चला जा रहा है। अगर 1952 के पहले लोकसभा चुनावों के नतीजों को देखें तो हमें इन विजयी आजाद उम्मीदवारों की संख्या 36 मिलेगी। तब इनका समूह कांग्रेस के बाद दूसरा सबसे बड़ा था। यानी किसी भी गैर-कांग्रेसी दल से बड़ा था। निवर्तमान लोकसभा में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या सिर्फ तीन रह गई थी। अभी तक मात्र 202 निर्दलीय उम्मीदवार लोकसभा में पहुंचे हैं। बेशक, लोकसभा का चुनाव अपने बलबूते पर लड़ना कोई बच्चों का खेल नहीं होता। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए बहुत सारे संसाधनों की ...