Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

Tag: independence

कांग्रेस ने आजादी के बाद से ही हिन्दू-मुस्लिमों को लड़ायाः डॉ. मोहन यादव

देश, मध्य प्रदेश
- पाक अधिकृत कश्मीर के लोग भी हिंदुस्तान में मिलना चाहते हैं: मुख्यमंत्री भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि यदि आप बिजली का बिल (electricity bill) नहीं भरोगे तो आपके पास बार-बार नोटिस आएगा। पैनल्टी के साथ यदि भुगतान नहीं किया तो आपका कनेक्शन कटना (disconnection) तय है। इसी तरह से कांग्रेस ने अपना हिसाब नहीं रखा और इनका कनेक्शन कट गया तो हम क्या करें। कानून के आधार पर हम देश चलाना चाहते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा है कि न खाऊंगा और न ही खाने दूंगा। कांग्रेस पार्टी के लोग खाने में व्यस्त हैं और हमारी पार्टी अब चुप नहीं बैठेगी। कांग्रेस ने आजादी के बाद से हिन्दू-मुस्लिमों को आपस में लड़वाया। यह वही कांग्रेस है जिसने श्रीराम मन्दिर के मामले को हवा दी थी कि राम मंदिर बनेगा तो देश मे हिन्दू-मुस्ल...
आजादी के बाद विमानन क्षेत्र में बड़ी ‘उड़ान’

आजादी के बाद विमानन क्षेत्र में बड़ी ‘उड़ान’

अवर्गीकृत
- रोहित माथुर यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ''उड़ान'' योजना स्वतंत्रता के बाद भारत में विमानन क्षेत्र में लाई गई अब तक की सबसे नवीन और समझदारी से तैयार की गई योजना है। उड़ान का जमीनी स्तर पर जो असर दिख रहा है, वह भले ही दिल्ली में स्पष्ट रूप से दिखाई न दे, लेकिन यह देश के कुछ दूरदराज और सुदूरवर्ती इलाकों में क्रांति ला रहा है। उड़ान की सफलता की कहानियां पूरे भारत के अनेक टियर 2 और टियर 3 शहरों में फैली हुई हैं। दरभंगा का उदाहरण लें, जो पटना के बाद बिहार में विमान परिचालन शुरू करने वाला दूसरा हवाई अड्डा है। यह उड़ान की एक बड़ी सफलता की कहानी है और आज दरभंगा प्रतिदिन 1500 से अधिक यात्रियों का आवागमन संभालता है। यही कहानी प्रयागराज और कानपुर की भी है, जहां उड़ान के अंतर्गत इंडिगो ने2018-19 के आसपास प्रयागराज-बेंगलुरु और स्पाइसजेट ने कानपुर-दिल्ली शुरू की जहां इससे पहले इन शहरों के...
नवोन्मेष की ओर बढ़ते कदम

नवोन्मेष की ओर बढ़ते कदम

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र यद्यपि गणतंत्र की अवधारणा और स्वाधीनता के विचार भारत में कई हज़ार साल पहले व्यवहार में थे परंतु ऐतिहासिक उठा-पटक के बीच वे धूमिल पड़ते गए थे। यदि निकट इतिहास में झाकें तो अंग्रेजी राज ने उपनिवेश स्थापित कर लगभग दो सदियों तक फैले काल-खंड में भारतीय समाज को साम्राज्यवाद का बड़ा कड़वा स्वाद चखाया था। भारत को अपने लिए उपभोग की सामग्री मान बैठ अंग्रेजों की कुनीति ने देश का भयंकर शोषण किया। उस दौर में भारत को अपने रंग-ढंग में ढालने की लगातार कोशशें होती रहीं। भारत का मौलिक स्वभाव संकीर्ण न हो कर वैश्विक था। परस्पर निर्भरता और अनुपूरकता के आधार पर सामाजिक समरसता, भ्रातृत्व और सौहार्द के साथ सह अस्तित्व को सांस्कृतिक लक्ष्य के रूप में वैदिक काल में ही स्वीकार करते हुए संकल्प लिया गया था - संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम ...
अमृतकाल में महात्मा गांधी का स्मरण

अमृतकाल में महात्मा गांधी का स्मरण

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- गिरीश्वर मिश्र भारत की आजादी का अमृत महोत्सव हर भारतीय के लिए जहां गर्व का क्षण है वहीं आत्म-निरीक्षण का अवसर भी प्रस्तुत करता है । पराधीनता की देहरी लांघ कर स्वाधीनता के परिसर में आना निश्चय ही गौरव की बात है । लगभग दो सदियों लम्बे अंग्रेजों के औपनिवेशिक परिवेश ने भारत की जीवन पद्धति को शिक्षा, कानून और शासन व्यवस्था के माध्यम से इस प्रकार आक्रांत किया था कि देश का आत्मबोध निरंतर क्षीण होता गया। इसके फलस्वरूप हम एक पराई दृष्टि से स्वयं को और दुनिया को भी देखने के अभ्यस्त होते गए । उधार ली गई विचार की कोटियों के सहारे बनी यथार्थ की समझ और उसके मूल्यांकन की कसौटियां ज्ञान-विज्ञान में नवाचार और आचरण की उपयुक्तता के मार्ग में आड़े आती रहीं और राजनैतिक दृष्टि से एक स्वतंत्र देश होने पर भी देश को मानसिक बेड़ियों से मुक्ति न मिल सकी। मानसिक अनुबंधन के फलस्वरूप पाश्चात्य को (जो स्वयं में मूलत...
स्वाधीनता की अपेक्षाएँ

स्वाधीनता की अपेक्षाएँ

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र स्वतंत्रता- यह शब्द सुन कर अक्सर मन में सबसे पहले बंधन से मुक्ति का भाव आता है। इस स्थिति में किसी तरह के बंधन नहीं रहते और प्राणी को स्वाधीनता का अहसास होता है। परंतु स्वतंत्रता निष्क्रिय शून्यता की स्थिति नहीं है और स्वतंत्रता स्वच्छंदता भी नहीं है। वह दिशाहीन नहीं हो सकती। बिना किसी लक्ष्य के निरुद्देश्य स्वतंत्रता कोई अर्थ नहीं रखती। इस बारे में सोचते हुए ये सवाल उठते हैं कि स्वतंत्रता किससे चाहिए? और यह भी कि स्वतंत्रता किसलिए चाहिए? सच कहें तो स्वतंत्रता या स्वतंत्र (बने) रहना एक क्रिया है, एक जिम्मेदार क्रिया क्योंकि इसमें किसी और पर निर्भरता नहीं रहती। स्वतंत्र होकर संकल्प और आचरण के केंद्र हम स्वयं हो जाते हैं। स्वतंत्रता बनी रहे और जिस उद्देश्य के लिए है, वह पूरा होता रहे ऐसा अपने आप नहीं हो सकता। इसके लिए प्रतिबद्धता और दिशाबोध के साथ जरूरी सक्रियता भी होनी चा...
आजादी की शताब्दी तक भारत होगा आत्म-निर्भर और विश्व गुरु : राष्ट्रपति मुर्मू

आजादी की शताब्दी तक भारत होगा आत्म-निर्भर और विश्व गुरु : राष्ट्रपति मुर्मू

देश, मध्य प्रदेश
- 27 प्रवासी भारतीयों को प्रवासी भारतीय सम्मान से किया सम्मानित इंदौर (Indore)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने कहा कि आने वाले 25 वर्ष भारत (India) के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत निरंतर विश्व गुरु बनने की महत्वाकांक्षी यात्रा (Ambitious journey to become Vishwa Guru) पर है। वर्ष 2047 में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी (centenary of independence) मना रहा होगा, तब तक हमारा देश आत्म-निर्भर और विश्व गुरु बन चुका होगा। भारत की विकास यात्रा में पूरी दुनिया के कोने-कोने में बसे प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत का संकल्प है कि विश्व में सभी का समान और न्यायोचित विकास हो। हमारा दर्शन वसुधैव कुटुंबकम का है। सारा विश्व हमारे लिए एक परिवार है। प्रवासी भारतीय, भारत के विकास के विश्वसनीय भागीदार है। हम आपको पूरी तरह भागीदार बनाना चाहते हैं।...
सरदार पटेल: आजादी का अमृतकाल और अखंड भारत के स्वप्न का विस्तार

सरदार पटेल: आजादी का अमृतकाल और अखंड भारत के स्वप्न का विस्तार

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- डॉ. अशोक कुमार भार्गव संपूर्ण भारत के लिए अदम्य शक्ति और फौलादी संकल्प के महानायक लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल आधुनिक भारत निर्माण के मुख्य शिल्पकार हैं। उन्होंने 565 देसी रियासतों का स्वतंत्र भारत में एकीकरण कर राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की। इनके अतुल्य योगदान के बिना भारतीय मानचित्र का भव्य स्वरूप आज जैसा है वैसा दिखाई नहीं देता। उनके समग्र अवदान को कृतज्ञ राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में नमन कर रहा है। वल्लभ भाई का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। सरदार पटेल ने ब्रितानी हुकूमत की अमानवीय बेगार प्रथा समाप्त कराने के बाद 1918 में खेड़ा के किसानों के लिए सत्याग्रह किया। किन्तु सरकार ने कर वसूली स्थगित नहीं की। पटेल ने शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष का आह्वान किया और किसानों का विश्वास अर्जित करते हुए स्वयं विदेशी वस्तुओं का त्याग किया और धोती, कुर्ता ...

यादें बंटवारे की: शरणार्थी कैसे उठे राख के ढेर से

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- आरके सिन्हा भारत अपनी स्वाधीनता के 75 साल पूरे कर रहा है। सारे देश में उत्साह और उल्लास का वातावरण बन गया है। लेकिन, भारत को आजादी की बड़ी कीमत देश के बंटवारे के रूप में अदा करनी पड़ी थी। यह भी एक कटु सत्य है। हजारों निर्दोषों ने अपनी जानें गंवाई। लाखों लोगों को अपने घरों से दूर जाकर अपनी नई दुनिया बसानी पड़ी थी। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो हमें उन पंजाबी और बंगाली शरणार्थियों को अवश्य याद रखना होगा, जिन्होंने कठिन और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने हिस्से का आसमान छुआ। पंजाब से आये शरणार्थियों ने कारोबारी दुनिया में अपनी कड़ी मेहनत और जीवटता से अभूतपूर्व सफलता हासिल की। अगर आप राजधानी दिल्ली में रहते हैं या फिर वहां पर आते-जाते रहते हैं तो आपने वहां लोकप्रिय बंगाली मार्केट के पास तानसेन मार्ग के कोने पर स्थित फेडरेशन ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) का भवन देखा ह...
मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

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- ललित गर्ग भारत की आजादी के लिये मिट्टी से लोहपुरुषों यानी सशक्त, शक्तिशाली एवं राष्ट्रभक्त इंसानों का निर्माण करने का श्रेय जिस महापुरुष को दिया जाता है, वह लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश की आशाओं के प्रतीक बने। उनके विचारों और कार्यों ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने में अग्रिम भूमिका निभाई। उन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ का नारा देकर लाखों भारतीयों को प्रेरित, संगठित और आन्दोलित किया। तिलक व्यक्ति-प्रबंधन कैसे करते, किस तरह आजादी के लिये हर भारतीय के मन में आन्दोलन की भावना भरते, मनुष्यों को कैसे पहचानते थे और सशक्त-आजाद भारत के लिये बृहत्तर आन्दोलनों के लिये कैसे उनके योगदान को प्राप्त करते थे, वह अपने आपमों विस्मय और अनुकरण का विषय है, उसी का अनुकरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तिलक के सपनों का भारत बना रहे...