Thursday, November 21"खबर जो असर करे"

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इसलिए बढ़ रहा स्वर्ण ऋण का चलन

इसलिए बढ़ रहा स्वर्ण ऋण का चलन

अवर्गीकृत
- प्रहलाद सबनानी किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने में पूंजी की आवश्यकता रहती है। तेज आर्थिक विकास के चलते यदि किसी देश में वित्तीय बचत की दर कम हो तो उसकी पूर्ति ऋण में बढ़ोतरी से की जा सकती है। भारत में ऋण सकल घरेलू अनुपात अन्य विकसित एवं कुछ विकासशील देशों की तुलना में अभी बहुत कम है। परंतु, हाल ही के समय में भारत का सामान्य नागरिक ऋण के महत्व को समझने लगा है एवं भौतिक संपत्ति के निर्माण में अपनी बचत के साथ साथ ऋण का भी अधिक उपयोग करने लगा है। कुछ बैंक सामान्यजन को ऋण प्रदान करने हेतु प्रतिभूति की मांग करते हैं। भारत में सामान्यजन के पास स्वर्ण के रूप में प्रतिभूति उपलब्ध रहती है अतः स्वर्ण ऋण बहुत अधिक चलन में आ रहा है। विशेष रूप से गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा ऋण की प्रतिभूति के विरुद्ध स्वर्ण ऋण आसानी से उपलब्ध कराया जा रहा है। भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 की प्रथम त...
भारत वैश्विक प्रगति का उत्प्रेरक बन अपना प्रभाव बढ़ा रहा : प्रधानमंत्री

भारत वैश्विक प्रगति का उत्प्रेरक बन अपना प्रभाव बढ़ा रहा : प्रधानमंत्री

देश, विदेश
न्यूयॉर्क / नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi.) ने रविवार को अमेरिका (America) के न्यूयॉर्क (New York) में भारतीय समुदायों (Indian communities) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत आज वैश्विक विकास, शांति, जलवायु कार्रवाई, कौशल और सप्लाई चैन मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसके पीछे भारत का मकसद दुनिया में दवाब बढ़ाना नहीं बल्कि प्रभाव बढ़ाना है। हम सूरज की तरह रोशनी देने वाले हैं। हम विश्व पर दबदबा नहीं चाहते हैं, हम विश्व की समृद्धि में अपना सहयोग बढ़ाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान आज न्यूयॉर्क के लॉन्ग आईलैंड में आयोजित 'मोदी एंड अमेरिका' नामक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने घोषणा की कि ह्यूस्टन और लॉस एंजेलिस में भारत महावाणिज्य दूतावास खुलेगा और ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में तिरुव...
देश में बढ़ रही कुतर्क की राजनीति

देश में बढ़ रही कुतर्क की राजनीति

अवर्गीकृत
- सुरेश हिंदुस्तानी राजनीति में सकारात्मक दिशा के अभाव में देश को जो नुकसान उठाना पड़ता है, वह भले ही प्रत्यक्ष रूप में दिखाई नहीं दे, लेकिन उससे समाज पर प्रभाव अवश्य ही होता है। अगर यह प्रभाव नकारात्मक चिंतन की धारा के प्रवाह को गति देने वाला होगा तो देश को भी अपने अस्तित्व के लिए जूझना पड़ता है। वर्तमान में जिस प्रकार की राजनीति की जा रही है, उसे भटकाव पैदा करने वाली राजनीति कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इतना ही नहीं, जो विषय राजनीति के नहीं होने चाहिए, उनको भी राजनीतिक दल राजनीति के दलदल में ले जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार के किसी भी निर्णय का अपने हिसाब से परिभाषित करना राजनीति का प्रिय विषय बनता जा रहा है। इससे प्रायः मूल विषय बहुत पीछे छूट जाता है और बहस कहीं और चली जाती है। आज के राजनीतिक वातावरण का अध्ययन किया जाए तो यही परिलक्षित होता है कि सभी राजनीतिक दलों के...
बढ़ती आबादी-बढ़ता खतरा

बढ़ती आबादी-बढ़ता खतरा

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल जनसंख्या संबंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करने के लिए प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। भारत के संदर्भ में देखें तो तेजी से बढ़ती आबादी के कारण ही हम सभी तक शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों को पहुंचाने में पिछड़ रहे हैं। बढ़ती आबादी की वजह से ही देश में बेरोजगारी की समस्या विकराल हो चुकी है। हालांकि विगत दशकों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नए रोजगार जुटाने के कार्यक्रम चलाए गए लेकिन बढ़ती आबादी के कारण ये सभी कार्यक्रम ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुए। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही देश में आबादी और संसाधनों के बीच असंतुलन बढ़ता जा रहा है। हकीकत यही है कि विगत दशकों में देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ी, उस गति से कोई भी सरकार जनता के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने की व्यवस्था करने में सफल नहीं हो सकती थी। आज देश की बहुत बड़ी आबादी निम्नस्तर क...
भारत समेत दुनिया के केंद्रीय बैंक बढ़ा रहे अपने स्वर्ण भंडार

भारत समेत दुनिया के केंद्रीय बैंक बढ़ा रहे अपने स्वर्ण भंडार

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- प्रहलाद सबनानी हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी बैंकों में रखे भारत के 100 टन सोने को ब्रिटेन से वापस लाया गया है। यह सोना भारत ने ब्रिटेन के बैंक में रिजर्व के तौर पर रखा था और इस पर भारत प्रतिवर्ष कुछ फीस भी ब्रिटेन के बैंक को अदा करता रहा है। समस्त देशों के केंद्रीय बैंक अपने यहां सोने के भंडार रखते हैं ताकि इस भंडार के विरुद्ध उस देश में मुद्रा जारी की जा सके (भारत में 308 टन सोने के विरुद्ध रुपए के रूप में मुद्रा जारी की गई है, यह सोने के भंडार भारतीय रिजर्व बैंक के पास जमा हैं) और यदि उस देश की अर्थव्यवस्था में कभी परेशानी खड़ी हो एवं उस देश की मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन होने लगे तो इस प्रकार की परेशानियों से बचने के लिए उस देश को अपने स्वर्ण भंडार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचना पड़ सकता है। इस कारण से विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक अपने पास स्वर्ण के भंडार रखते हैं...
विद्यार्थियों में तनाव और चिंता का कारण बनती प्रश्नपत्र लीक की बढ़ती घटनाएं

विद्यार्थियों में तनाव और चिंता का कारण बनती प्रश्नपत्र लीक की बढ़ती घटनाएं

अवर्गीकृत
- प्रियंका सौरभ जब किसी प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होता है तो परीक्षार्थियों के साथ परिजनों के भी सपने भी चकनाचूर होते हैं। ऐसी घटनाओं से एक उन्नत, समृद्ध, सुशिक्षित एवं सशक्त राष्ट्र एवं समाज बनने-बनाने का हमारा सामूहिक स्वप्न और मनोबल टूटता है। इससे युवाओं के भीतर व्यवस्था के प्रति असंतोष एवं निराशा की स्थायी भावना घर करती है, शासन के प्रति अविश्वास बढ़ता है और व्यवस्था से आमजन का मोहभंग होता है। नौजवानों के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं न केवल उज्ज्वल भविष्य का, अपितु कई बार अस्तित्व का भी प्रश्न बन जाती हैं। इसके साथ ही सरकार की विश्वसनीयता संकट में पड़ती है। प्रश्नपत्र लीक करवाने के मामले में कई बार बड़े-बड़े कोचिंग केंद्रों एवं संचालकों की भी संलिप्तता पाई जाती है। नकल आज एक देशव्यापी कारोबार बनता जा रहा है, जिसके कई लाभार्थी और अंशधारक हैं। नेता से लेकर अधिकारी तक, प्रश्नपत्र निर...
चारधाम यात्रा में बढ़ता श्रद्धा का सैलाब… प्रकृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

चारधाम यात्रा में बढ़ता श्रद्धा का सैलाब… प्रकृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

देश
- दर्शनार्थियों का आंकड़ा 12 लाख के करीब, केदारनाथ को लेकर बढ़ता जा रहा क्रेज नई दिल्ली (New Delhi)। हिमालय (Himalaya) की गोद में बसे उत्तराखंड की धरती (Land of Uttarakhand) सदियों से आध्यात्मिक साधकों (Spiritual seekers) और प्रकृति प्रेमियों (Nature lovers) को अपनी ओर खींचती रही है। यहां चार धामों (Chardham Yatra)- बद्रीनाथ ( Badrinath), केदारनाथ (Kedarnath), गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री (Yamunotri) का पवित्र स्थल है, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। ये धाम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं बल्कि अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी विख्यात हैं। विश्व विख्यात चारधाम यात्रा में इस बार आस्था, भक्ति और उल्लास अपने चरम पर है। ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्रीकेदारनाथ के दर्शन के लिए आने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो चारों ...
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती उत्पादों की मांग

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती उत्पादों की मांग

अवर्गीकृत
- प्रहलाद सबनानी भारत में आज भी लगभग 60 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है एवं अपने जीवन यापन के लिए मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र पर ही आश्रित रहती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार किये जा रहे विकास कार्यों के चलते इन क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत व्यय की जाने वाली राशि में अतुलनीय वृद्धि दर्ज हुई है। इससे, ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के नए अवसर निर्मित होने लगे हैं एवं ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कुछ कम हुआ है। विशेष रूप से कोरोना महामारी के खंडकाल में शहरों से ग्रामीण इलाकों की ओर शिफ्ट हुए नागरिकों में से अधिकतर नागरिक अब ग्रामीण क्षेत्रों में ही बस गए हैं एवं अपने विशेष कौशल का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों को प्रदान कर रहे हैं। हाल ही में जारी किए गए कुछ सर्वे प्रतिव...
दुनियाभर में बढ़ रही है गरीबों की संख्या

दुनियाभर में बढ़ रही है गरीबों की संख्या

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल सामाजिक असमानता की खाई निरंतर बढ़ रही है। जिससे आम आदमी की आय में बेहद कम बढ़ोतरी हो रही है जबकि अमीर वर्ग की सम्पत्ति कई गुना बढ़ी है। न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में आर्थिक असमानता की खाई लगातार चौड़ी हो रही है। गरीबी उन्मूलन के लिए कार्यरत गैर सरकारी संगठन ‘ऑक्सफैम इंटरनेशनल’ ने पिछले महीने विश्व आर्थिक मंच की बैठक में आर्थिक असमानता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया था कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान अमीरी और गरीबी की खाई पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ी है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कई चिंताजनक बातें उभर कर सामने आई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि आर्थिक असमानता के दृष्टिगत पिछले कुछ वर्ष बहुत खराब साबित हुए हैं और विगत चार वर्षों के दौरान कोरोना महामारी, युद्ध और महंगाई जैसे पैमानों ने विश्वभर में अरबों लोगों को गरीब बनाया है। 2020 के बाद से अब तक दुनिया मे...