वैशाख पूर्णिमा : अग्नि अविष्कारक महर्षि भृगु का अवतरण दिवस
- रमेश शर्मा
जिनमें नारायण ने अपना स्वरूप देखा उन महर्षि भृगु का अवतरण दिवस वैशाख पूर्णिमा है । वे ब्रह्मा से उत्पन्न आठ प्रचेताओं में प्रथम हैं । ऋग्वेद में उनसे संबंधित अनेक ऋचायें हैं । वे अग्नि और आग्नेय अस्त्रों के अविष्कारक भी हैं। इसीलिए अग्नि का एक नाम "भृगि" भी है । भृगि अर्थात भृगु से उत्पन्न ।
ऋग्वेद के अनुसार महर्षि भृगु ने मातरिश्वन् से अग्नि ली और पृथ्वी पर लाए। इसी कारण यज्ञ के माध्यम से अग्नि की आराधना करने का श्रेय भृगु कुल के ऋषियों को ही दिया जाता है । उन्हीं के माध्यम से संसार भर को अग्नि का परिचय मिला। कुछ स्थानों पर महर्षि अंगिरा को भी महर्षि भृगु का ही पुत्र बताया गया है। इसके पीछे तर्क यह है कि ऋग्वेद में भृगु अंगिरस् नाम आया है । इसके दो ही अर्थ हो सकते हैं। एक तो भृगु को अंगिरस की उपाधि हो सकती है जो अग्नि के अविष्कारक होने के नाते कहे गए ।
दूसरा अंगिरा क...