नये बजट में शिक्षा के लिए प्रावधान नाकाफी हैं
- गिरीश्वर मिश्र
भारत का वर्ष 23-24 का राष्ट्रीय बजट अमृत-काल में प्रस्तुत हुआ पहला बजट है। इस अवसर का लाभ लेते हुए सरकार ने इसे भविष्य के शक्तिशाली और समर्थ भारत की आधारशिला के रूप में पेश किया है। इसके अंतर्गत जीवन के सभी क्षेत्रों की जरूरतों को स्पर्श करते हुए संसाधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। उथल-पुथल के वर्तमान दौर में वैश्विक स्तर पर आर्थिक दृष्टि से आत्म विश्वास से भरी एक बड़ी हैसियत बनती भारत की अर्थव्यवस्था निश्चय ही चकित करने वाली है। इस परिवर्तन को देख-सुन सभी भारतवासी खुश दिख रहे हैं।
‘विकासशील’ की श्रेणी से निकल कर ‘विकसित’ देशों की श्रेणी में पहुँचने के लिए बड़ी छलांग की तैयारी इस बजट में साफ़ झलक रही है। सबको संतुष्ट करने की चेष्टा के साथ गरीब, मध्य वर्ग, अमीर, किसान, व्यापारी, सरकारी मुलाजिम हर किसी की झोली में कुछ न कुछ पहुँचाने की क़वायद इस बजट की एक बड़ी खूबी ह...