भाजपा: वैचारिक धुंधकाल के निराकरण का तंत्र
- प्रवीण गुगनानी
विमर्श या नैरेटिव के नाम पर भारत में एक अघोषित युद्ध चला हुआ है। इन दिनों भारत में चल रहा विमर्श शुद्ध राजनैतिक है। राजनीति और कुछ नहीं समाज का एक संक्षिप्त प्रतिबिंब ही है। विमर्श में यह प्रतिबिंब विषय व समयानुसार कुछ छोटा या बड़ा होता रह सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार परिवार के राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को यदि हम सामाजिक प्रतिबिंब के रूप में देखें तो हमें वैचारिक प्रतिबंधों, वर्जनाओं और सीमाओं से मुक्ति मिल जाती है।
वैचारिक दृष्टि से देखें तो भाजपा एकमात्र भारतीय राजनैतिक दल है जो वैचारिक दासता से मुक्त है। भाजपा अपने चिर परिचित हिंदुत्वशाली आग्रहों पर अंगद, अटल है। नवीन व पुरातन का अभिनव संगम हो गई है भाजपा। वस्तुतः आरएसएस ने भाजपा के माध्यम से राजनीति एक विशाल, विराट व विमुक्त वैचारिक कैनवास हमें दिया है। हम भारत के राजनैतिक, अराजनैतिक और यह...