Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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नवोन्मेष की ओर बढ़ते कदम

नवोन्मेष की ओर बढ़ते कदम

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र यद्यपि गणतंत्र की अवधारणा और स्वाधीनता के विचार भारत में कई हज़ार साल पहले व्यवहार में थे परंतु ऐतिहासिक उठा-पटक के बीच वे धूमिल पड़ते गए थे। यदि निकट इतिहास में झाकें तो अंग्रेजी राज ने उपनिवेश स्थापित कर लगभग दो सदियों तक फैले काल-खंड में भारतीय समाज को साम्राज्यवाद का बड़ा कड़वा स्वाद चखाया था। भारत को अपने लिए उपभोग की सामग्री मान बैठ अंग्रेजों की कुनीति ने देश का भयंकर शोषण किया। उस दौर में भारत को अपने रंग-ढंग में ढालने की लगातार कोशशें होती रहीं। भारत का मौलिक स्वभाव संकीर्ण न हो कर वैश्विक था। परस्पर निर्भरता और अनुपूरकता के आधार पर सामाजिक समरसता, भ्रातृत्व और सौहार्द के साथ सह अस्तित्व को सांस्कृतिक लक्ष्य के रूप में वैदिक काल में ही स्वीकार करते हुए संकल्प लिया गया था - संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम ...
डॉ. अंबेडकर के विचारों का क्रियान्वयन

डॉ. अंबेडकर के विचारों का क्रियान्वयन

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री प्रधानमंत्री बनते समय नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों वंचितों के प्रति समर्पित बताया था। वस्तुतः यह डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की ही प्रेरणा थी। विगत नौ वर्षों से उनकी सरकार इसी दिशा में कार्य कर रही है। जन कल्याण की इतनी अधिक और व्यापक योजनाएं देश में पहले कभी लागू नहीं की गई थी। डॉ. भीमराव अंबेडकर की जीवन यात्रा स्वयं में प्रेरणादायक रही है। इस यात्रा के अनेक पड़ाव थे। प्रत्येक में उनके व्यक्तित्व व कृतित्व की झलक थी। ऐसे में इन स्थानों पर गरिमापूर्ण स्मारक दशकों पहले बनने चाहिए थे। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के अलावा किसी अन्य ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। डॉ. अंबेडकर की प्रतिष्ठा में सर्वाधिक कार्य वर्तमान केंद्र व प्रदेश सरकार ने किए हैं। इसमें उनके जीवन से संबंधित स्थलों का भव्य निर्माण भी शामिल है। इसके साथ ही दलित वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से स्वा...

बीमा कानून में बदलाव पर विचार कर रही सरकार, कम होगी न्यूनतम पूंजी की जरूरत

देश, बिज़नेस
-देश में बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए कानून में बदलाव पर विचार कर रहा वित्त मंत्रालय नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) देश में बीमा की पहुंच बढ़ाने और इसका लाभ सभी को मिले। इसके लिए बीमा कानूनों में बदलाव (changes in insurance laws) पर विचार कर रहा है। इनमें न्यूनतम पूंजी की जरूरत को कम करने का प्रस्ताव भी शामिल है। न्यूनतम पूंजी की जरूरत (Minimum capital requirement) कम करने पर बैंकिंग क्षेत्र (banking sector) की तरह कई कंपनियां बीमा कारोबार में उतर सकेंगी। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय बीमा कानून 1938 की व्यापक समीक्षा कर रहा है, ताकि इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए कुछ उचित बदलाव किया जा सके। हालांकि, यह प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है। वित्त मंत्रालय बीमा कारोबार शुरू करने के लिए न्यूनतम पूंजी की जरूरत को 100 करोड़ रुपये से कम करना चाहता है। न्यूनतम पूंजी की जरूरत कम करने ...