Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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सबके लिए आदर्श है अहिल्याबाई का जीवन

सबके लिए आदर्श है अहिल्याबाई का जीवन

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- रमेश शर्मा संसार में कुछ ऐसी विभूतियां भी जन्मी हैं जो अवतारी तो नहीं थीं लेकिन उनका व्यक्तित्व और कृतित्व अवतारी शक्तियों के समतुल्य रहा । इंदौर की महारानी देवि अहिल्याबाई का व्यक्तित्व ऐसा ही था । उन्हें "देवि" किसी दरवारी कवि ने नहीं कहा, अपितु जन सामान्य ने कहकर पुकारा । उनका सादगीपूर्ण जीवन, धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के लिये समर्पण जीवन, उनके द्वारा किये गये जन कल्याणकारी कार्य, विशेषकर किसानों और महिलाओं के हित में लिये गये उनके निर्णयों ने उनकी ओर पूरे भारत के शासकों का ध्यान आकर्षित किया । यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता ही है कि आज लगभग तीन सौ वर्ष बीत जाने के बाद भी वे जन सामान्य में सम्मान और श्रृद्धा का केन्द्र हैं। वे सही मायने में अजातशत्रु थीं। उनके जीवन के किसी प्रसंग पर, कोई नई नीति बनाने या निर्णय लेने के औचित्य पर अथवा उनकी कार्यशैली पर कभी किसी ने कोई नकारात्मक टि...
सर्वोत्कृष्ट संगठनकर्ता थे मदन दास देवी

सर्वोत्कृष्ट संगठनकर्ता थे मदन दास देवी

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- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी जी के हुए देहावसान से मुझे और लाखों कार्यकर्ताओं को जो आघात पहुंचा है, उसके लिए कोई शब्द नहीं है। मदन लाल जी जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व हमारे बीच नहीं रहे। इस चुनौतीपूर्ण सच्चाई को स्वीकारना कठिन है लेकिन इस बोध से सांत्वना मिलती है कि उनसे जो सीख मिली है और उनके जो आदर्श रहे हैं, हमारी आगे की यात्रा में मार्गदर्शक के रूप में काम करते रहेंगे। मदन दास जी के साथ मुझे वर्षों तक निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला। मैंने उनकी सादगी और मृदुभाषी स्वभाव को बहुत करीब से देखा है। वह सर्वोत्कृष्ट संगठनकर्ता थे। संगठन में काम करते हुए मैंने भी काफी समय उनके साथ बिताया है। ऐसे में स्वाभाविक ही है कि संगठन के संवर्धन और कार्यकर्ताओं के विकास से जुड़े पहलू नियमित रूप से हमारी बातचीत में शा...
प्रासंगिक हैं जन-जन के श्रीराम

प्रासंगिक हैं जन-जन के श्रीराम

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- सुरेन्द्र किशोरी दुनिया में जहां कहीं भी सनातन धर्मावलंबी हैं, वहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा आदर्श के रूप में होती है। खासकर भारतीय धर्म-संस्कृति में भगवान श्रीराम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। कोटि-कोटि हृदयों में प्रभु श्रीराम के प्रति गहन आस्था है। राष्ट्र जागरण एवं विश्व परिवर्तन के वर्तमान परिवेश में वह और भी अधिक प्रासंगिक एवं पूजनीय बन चुके हैं। उनका शौर्य, उनकी मर्यादा, उनका संघर्ष, उनका अनीति उन्मूलन के प्रति प्रचंड पुरुषार्थ एवं आदर्श राज्य व्यवस्था रामराज्य के सर्व कल्याण की प्रेरक प्रतिष्ठापनाएं जन-जन में उत्कृष्ट भाव-संवेदनाएं जगाती है। प्रखर पुरुषार्थ पराक्रम के लिए प्रेरित करती हैं। वर्तमान में जब अंधकार का युग तिरोहित हो रहा है, नवयुग का सूर्योदय हो रहा है, प्रभु श्रीराम का महान गौरवशाली जीवन दिव्य प्रकाशस्तंभ की तरह मार्गदर्शन करने को पूर्ण तत्पर है। भा...
प्रभु श्रीराम: मानवीय जीवन के आदर्श

प्रभु श्रीराम: मानवीय जीवन के आदर्श

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- डॉ. अरविन्द पाण्डेय रामनवमी, आदर्शों के पुंज मर्यादा पुरुषोत्तम के इस धराधाम पर अवतीर्ण होने का पावन दिवस है। अगस्त्य संहिता के अनुसार चैत्र शुक्ल नवमी को मध्याह्न में पुनर्वसु नक्षत्र में जब चंद्रिका, चंद्र और बृहस्पति तीनों समन्वित थे; पाँच ग्रह अपनी उच्चावस्था में थे, सूर्य मेष राशि में थे, लग्न कर्कटक थी, तब श्रीराम का जन्म हुआ था। इस दिन किया हुआ व्रतानुष्ठान अगस्त्य संहिता के अनुसार सांसारिक सुख एवं अलौकिक आनंद देने वाला है। अशुद्ध, पापिष्ठ व्यक्ति भी इस व्रत से अपने पापों से मुक्त हो जाता है और सबसे सम्मान पाता है। रामनवमी का पर्व देश के कोने-कोने में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसका धार्मिक-परंपरागत स्वरूप जो भी हो; इसका मूल उद्देश्य भगवान श्रीराम की परम पावन लीलाओं का सुमिरन करना और उनके आदर्श चरित्र का चिंतन-मनन करना है तथा उनके द्वारा निर्देशित एवं स्थापित आदर्शों ...
राम राज्य दुनिया की सभी राजव्यवस्था का आदर्श

राम राज्य दुनिया की सभी राजव्यवस्था का आदर्श

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- हृदयरायण दीक्षित श्रीराम मंगल भवन हैं। वो अमंगलहारी हैं। वे भारत के मन में रमते हैं। मिले तो राम राम, अलग हुए तो राम राम। राम का नाम हम सब बचपन से सुनते आए हैं। वे धैर्य हैं। सक्रियता हैं। परम शक्तिशाली हैं। भाव श्रद्धा में वे ईश्वर हैं। राम तमाम असंभवों का संगम हैं। युद्ध में पौरुष पराक्रम और निजी जीवन में मर्यादा के पुरुषोत्तम। राम भारतीय आदर्श व आचरण के शिखर हैं। भारतीय मनीषा ने उन्हें ब्रह्म या ईश्वर जाना है। श्रीकृष्ण भी विष्णु के अवतार हैं। वे अर्जुन को गीता (10.31) में बताते हैं ''पवित्र करने वालों में मैं वायु हूं और शास्त्रधारियों में राम हूं।'' राम महिमावान हैं। श्रीकृष्ण भी स्वयं को राम बताते हैं। श्रीराम प्रतिदिन प्रतिपल उपास्य हैं लेकिन विजयादशमी व उसके आगे पीछे श्रीराम के जीवन पर आधारित पूरे देश में श्रीराम लीला के उत्सव होते हैं। संप्रति देश के कोने कोने रामलीला उत्सव हो...