हैदराबाद नि:शस्त्र प्रतिरोध-3 (अंतिम): जब बाबा साहेब अंबेडकर ने हैदराबाद निजाम को भारत का शत्रु कहा
- डॉ. श्रीरंग गोडबोले
हैदराबाद निजाम के संबंध में तत्कालीन तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेताओं की भूमिकाओं को समझना आवश्यक है। ये तीन नेता हैं, महात्मा गांधी, स्वातंत्र्यवीर सावरकर और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर। गांधीजी से सैद्धांतिक मतभेद रखने वाले, कांग्रेस में कभी भी प्रवेश न करने वाले और इस्लाम का सूक्ष्म एवं मौलिक अध्ययन करने वाले बीसवीं सदी के दो हिंदू नेताओं, वीर सावरकर और डॉ. अंबेडकर का उल्लेख करना प्रासंगिक होगा।
गांधीजी की निजाम विषयक भूमिका
निजाम के विषय में ही नहीं, बल्कि सभी रियासतों के अंदर चले जनांदोलनों में भी गांधीजी की भूमिका आरंभ में मात्र एक दर्शक की ही थी। दिनांक 8 जनवरी, 1925 को भावनगर में आयोजित तीसरी राजनैतिक परिषद के अध्यक्ष के नाते बोलते हुए गांधीजी ने कहा था, “हिन्दुस्तान की रियासतों से संबंधित प्रश्नों के संबंध में कांग्रेस को सामान्यत: अहस्तक्षेप की नीति अपनानी चाहिए...