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मानवता के विरुद्ध कैसे कार्य कर रहा है वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र

मानवता के विरुद्ध कैसे कार्य कर रहा है वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र

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- पंकज जगन्नाथ जयस्वाल वामपंथी वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र, जिसकी भारत में महत्वपूर्ण उपस्थिति है, अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए झूठे विमर्श, आख्यानों का प्रचार करके तथा अनेक भारतीयों का ब्रेनवॉश करके भारी मात्रा में धन बहा रहा है तथा एक मजबूत मानव संसाधन आधार का पोषण कर रहा है। इस पारिस्थितिकी तंत्र का एक स्पष्ट दृष्टिकोण तथा मिशन है: मानवता को लाभ पहुँचाने वाली हर चीज को कमजोर करना। वे अपने धनबल तथा अन्य संसाधनों का उपयोग पिछले दरवाजे से राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए करना चाहते हैं, जिस राष्ट्र पर वे स्वार्थी कारणों से नियंत्रण प्राप्त करना चाहते हैं, उसकी अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर करना चाहते हैं, सामाजिक अशांति उत्पन्न करते हैं, उस राष्ट्र की संस्कृति को नष्ट करते हैं, तथा ऐसा झूठा आख्यान निर्मित करना चाहते हैं जिससे देश के नागरिकों को अपनी सांस्कृतिक प्रथाओं, प्रणालियों, समाज तथा...
भारत में भारतीय होना चाहिए शिक्षा का मॉडल

भारत में भारतीय होना चाहिए शिक्षा का मॉडल

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- डॉ. नितिन सहारिया भारतीय संस्कृति मूल्य आधारित संस्कृति है। मूल्यों को धारण करने के कारण ही मानव के अंदर मानवीयता का आभास होता है। मूल्य ही दो पैर- दो हाथ वाले प्राणी मनुष्य को मनुष्यत प्रदान करते हैं अन्यथा वह पशुवत है। मूल्य मानवता का आधार हैं। मूल्य की मनुष्य के अंदर स्थापना होने से मनुष्ययत्व की गरिमा बढ़ती है। मूल्य मानवता के प्राण हैं। मूल्य विहीन मनुष्य का जीवन बगैर खुशबू के पुष्प की तरह से निरर्थक है। अतः इन मूल्यों को धारण करने के कारण भारतीय संस्कृति में वैश्विकता, निरंतरता, जीवंतता, श्रेष्ठता, शाश्वतता, आध्यात्मिकता की अनुभूति होती है, जो इसे वैश्विक संस्कृति Global culture बनाते हैं। भारतीय संस्कृति के मूल्य सार्वभौमिक हैं। मूल्य वे तत्व या गुण हैं जो मानवीय आचरण में श्रेष्ठता, विशिष्टता, दिव्यत्व, उत्कृष्टता को प्रदर्शित करते हैं। मानव के व्यक्तित्व को सुगंध, दिव्य आचर...
मानवता की तबाही की कीमत पर कमाई

मानवता की तबाही की कीमत पर कमाई

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- डॉ. अनिल कुमार निगम युद्ध हमेशा विनाश लाते हैं। इससे हमेशा मानवता का विनाश हुआ है। हर युद्ध अपने पीछे भयावह चिह्न छोड़ जाता है। भारत की भी नीति ‘‘ वसुधैव कुटुम्बकम् ’’ की रही है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ की रणनीति यह रही है कि विश्व में युद्ध चलते रहने चाहिए। संभवत: यही कारण है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को दो वर्ष से अधिक समय हो चुका है। वहीं हमास और इजराइल के बीच युद्ध छिड़े हुए लगभग पांच महीने का समय गुजर चुका है, लेकिन इनका कोई अंत दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध और हमास-इजराइल युद्ध मानवता के लिए बरबादी का सबब हैं, जबकि अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों के लिए ये कमाई का साधन बन गए हैं। संपूर्ण विश्व में युद्ध चलता रहे, अमेरिका व पश्चिमी देशों के लिए यह फायदे की बात है। तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद रूस-यूक्रेन युद्ध शांत नहीं हुआ। हमास के लड़ाकों ने 7 अक्टूबर...
बीएपीएस मंदिर मानवता की साझा विरासत का प्रतीक: प्रधानमंत्री

बीएपीएस मंदिर मानवता की साझा विरासत का प्रतीक: प्रधानमंत्री

देश
नई दिल्ली (Abu Dhabi)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बुधवार को यूएई (UAE) के अबुधाबी (Abu Dhabi) में बीएपीएस मंदिर का उद्घाटन (BAPS temple inaugurated) करने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह मंदिर (Temple) मानवता की साझा विरासत (common heritage of humanity) का प्रतीक ( symbol) है। साथ ही भारत और अरब के लोगों के आपसी प्रेम का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने मंदिर उद्घाटन के बाद यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मब बिन जायद अल नाहयान की मंदिर को सभी प्रतीकों के साथ उनके देश में निर्माण के लिए स्थान और अनुमति देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रपति की विश्व बंधुत्व की सोच का प्रतीक है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर राष्ट्रपति के सम्मान में स्टैंडिग ओवेशन दिया गया। साथ ही प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति नाहयान ने भारतीय समुदाय के लि...
जयन्ती विशेष : मानवता के पुजारी थे रामकृष्ण परमहंस

जयन्ती विशेष : मानवता के पुजारी थे रामकृष्ण परमहंस

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- रमेश सर्राफ धमोरा स्वामी रामकृष्ण परमहंस भारत के सुप्रसिद्ध संत, महान विचारक व मानवता के पुजारी थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मों को एक बताते हुए उनकी एकता पर जोर दिया था। उनका मानना था कि सभी धर्मों का आधार प्रेम है। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं। ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति की। अपनी साधना से रामकृष्ण इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं है। वे ईश्वर तक पहुंचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं। इनका जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में कामारपुकुर नामक गांव में 18 फरवरी 1836 को एक निर्धन निष्ठावान ब्राहमण परिवार में हुआ था। इनके जन्म पर ही ज्योतिषियों ने रामकृष्ण के महान भविष्य की घोषणा कर दी थी। ज्योतिषियों की भविष्यवाणी सुन इनकी माता चन्द्रा देवी तथा पिता खुदिराम अत्यन्त प्रसन्न हुए। इ...
कार्यस्थल पर उत्पीड़न से शर्मसार होती मानवता

कार्यस्थल पर उत्पीड़न से शर्मसार होती मानवता

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा हम चाहे खुद को कितना ही अत्याधुनिक,संवेदनशील और मानवतावादी मानें पर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह अत्यंत दुर्भाग्यजनक होने के साथ मानवता के लिए शर्मनाक भी हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के देशों में हर पांच में एक नौकरीपेशा किसी ना किसी रूप से कार्यस्थल पर उत्पीड़न का शिकार हो रहा है। मजे की बात यह है कि इसमें भी खुद को अधिक सभ्य और अत्याधुनिक मानने वाला अमेरिका दुनिया के देशों में अव्वल है। दूसरे, उत्पीड़ित नौकरीपेशा में अधिक लैंगिक भेदभाव नहीं है। इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं। 2021 के आंकड़ों के आधार पर जारी रिपोर्ट में 4 करोड़ 30 लाख लोग उत्पीड़न के शिकार पाये गये हैं। यह नौकरीपेशा लोगों के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार करीब 22 फीसदी से कुछ अधिक होते हैं। नौकरीपेशा लोगों के उत्पीड़न में शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा...