हिन्दुत्व में है ‘मानवीय जीवन मूल्यों पर संकट का’ समाधान
- हृदयनारायण दीक्षित
मानवीय जीवन मूल्यों पर संकट है। इतिहास के किसी अन्य कालखण्ड में इस तरह का मानवीय संकट नहीं था। समाचार माध्यम भी जब कब विश्वयुद्ध की आशंका की बातें करते हैं। विचार ही मनुष्य जाति के वाह्य स्वरूप और आंतरिक उदात्त भाव के प्रसारक रहे हैं। विचार भी अपना प्रभाव खो रहे हैं। मानवीय सभ्यता आधुनिक काल का मनुष्य विरोधी प्रेरक तत्व बन गई है। वातावरण में निश्चिन्तता नहीं है। संदेह और अनिश्चितता का वातावरण है। मनुष्य जाति भविष्य के भय से डरी हुई है। धन का प्रभाव और धन का अभाव दोनों ही मारक हैं। मानवता का बड़ा भाग पर्याप्त भोजन से वंचित है। इस वर्ग में सामान्य चिकित्सा और शिक्षा, आश्रय-घर का अभाव है। आधुनिक सभ्यता के प्रभाव में अभावग्रस्त लोगों के सामने संकट है। विज्ञान के जानकार प्रकृति के तमाम रहस्य बता रहे हैं। निसंदेह वैज्ञानिक शोधों ने चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी उपलब्...