‘सूचना’ जैसी निर्दयी मां कब तक रहेंगी समाज में…!
- ऋतुपर्ण दवे
कोई मां भला कैसे निर्दयी हो सकती है? क्रूर हो सकती है? कैसे अपने जिगर के टुकड़े को बैग में पैक कर सड़क रास्ते लंबे सफर पर बेखौफ निकल सकती है? इसके जवाब मनोचिकित्सकों के पास अपने-अपने ढंग के और अलग भी हो सकते हैं। लेकिन गोवा में एक आम नहीं बल्कि बेहद खास वो मां जिसने देश-दुनिया को अपनी सफलता से आकर्षित किया और निर्दयता और क्रूरता की सारी हदें पार कर जाए तो हैरानी होती है। गोवा में जघन्य हत्याकांड ने जहां हर किसी को झकझोरा, वहीं कई सवाल भी खड़े कर दिए। बेहद पढ़ी-लिखी मां जिसे दुनिया आदर्श समझती थी, वही अपराधी निकले? सवाल यकीनन कचोटने वाला है। लेकिन जवाब आसान भी नहीं है।
पति-पत्नी के रिश्तों में तल्खी आना असामान्य नहीं है। लेकिन ऐसा भी क्या नफरत जो इसकी बलि वेदी पर खुद का मासूम चढ़ा दिया जाए? निश्चित रूप से बेकाबू गुस्सा, सोचने, समझने की शक्ति पर नियंत्रण खोना इंसान को कित...