तपती गर्मी में मुफीद है मटके का पानी
- डॉ. रमेश ठाकुर
आधुनिक चकाचौंध में टेक्नोलॉजी से लबरेज युग में देसी मटकों का क्रेज आज भी बरकरार है। दूषित पानी के इस्तेताल से बढ़ते मरीजों को जबसे चिकित्सकों ने मटके का पानी पीने की सलाह दी है, लोगों का रुझान अनायास घड़ों की ओर दौड़ा है। मिट्टी का ये आइटम न सिर्फ मन को भाता है, बल्कि चिलचिलाती गर्मी में सूखे गलों को भी तरबतर कर देता है। घड़े का पानी पीने में तरावट आती है। गले में अलौकिक ठंड़क पड़ती है, क्योंकि घड़े के पानी में मिट्टी की सोंधी-सोंधी सुगंध जो आती है। घड़े का पानी जमीन से तुरंत निकले ताजे पानी जैसा अहसास करवाता है। गर्मियों में जब घड़ों की डिमांड बढ़ती है तो कुम्हारों का व्यवसाय भी खूब फलने-फूलने लगता है। इस सीजन में उनकी आमदनी में अचानक से उछाल आता है।
इस समय मटकों की कीमत दो सौ से लेकर हजार रुपए तक पहुंची हुई है। मटको की बढ़ती डिमांड को देखकर अब ऑनलाइन सेल्स कंपनियां भी कूद प...