समग्र स्वास्थ्य की देखभाल जरूरी
- गिरीश्वर मिश्र
स्वस्थ रहते हुए ही मनुष्य निजी और सार्वजनिक हर तरह के कार्य कर पाता है यह सबको मालूम है। परंतु इसका महत्व तभी समझ में आता है जब जीवन में व्यवधान का सामना करना पड़ता है। तब हम स्वास्थ्य को लेकर सचेत हो जाते हैं। कोविड महामारी के दौर में यह बात सबने अनुभव की । स्वास्थ्य और अस्वास्थ्य की उलझन नई नहीं है और स्वास्थ्य रक्षा के उपायों को लेकर प्रत्येक समाज उपचार या चिकित्सा के समाधान ढूंढता रहा है। इस तथ्य के बावजूद कि ऐतिहासिक रूप से विभिन्न ज्ञान परम्पराओं और भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में पनपने वाली विभिन्न उपचार प्रणालियों का सुदीर्घ काल से समानांतर अस्तित्व रहा है, आज वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने वाली जैव चिकित्सा (बायोमेडिसिन) या एलोपैथी का उपयोग प्रमुखता से स्वीकृत और प्रधान हो चुकी है। यह स्थिति चिकित्सकीय ज्ञान की वास्तविकता को खंडित रूप से देखती और प्रस्तुत करती...