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सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए 31 मार्च, 2025 तक गेहूं की स्टॉक लिमिट तय की

सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए 31 मार्च, 2025 तक गेहूं की स्टॉक लिमिट तय की

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक गेहूं की स्टॉक लिमिट तय कर दी है। सरकार ने गेहूं की कीमतों में स्थिरता लाने और जमाखोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया है। उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि सरकार ने समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने तथा जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू की है। मंत्रालय के मुताबिक यह आदेश 24 जून से तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है, जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेगा। मंत्रालय के मुताबिक थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं के स्टॉक की अधिकतम सीमा 3 हजार टन होगी, जबकि यह प्रोसेसर के लिए यह प्रसंस्करण क्षमता का 70 फीसदी होगी। इसके साथ ही बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन प्रत...
केंद्र ने जमाखोरी रोकने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा घटाई

केंद्र ने जमाखोरी रोकने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा घटाई

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र सरकार (Central government) ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर नियंत्रण (hoarding wheat and control prices) रखने के लिए सख्त कदम (takes strict steps) उठाया है। सरकार ने तत्काल प्रभाव से थोक, खुदरा, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करण फर्मों के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा घटा दी है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि तत्काल प्रभाव से व्यापारियों एवं थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा दो हजार टन से घटाकर एक हजार टन की गई है। प्रत्येक खुदरा विक्रेता के लिए भंडारण की सीमा 10 टन से घटाकर पांच टन किया गया है। बड़े खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक डिपो के लिए पांच टन और उनके सभी डिपो के लिए यह सीमा कुल मिलाकर एक हजार टन होगी। मंत्रालय के मुताबिक गेहूं भंडारण करने वाली सभी फर्मों को गेहूं स्टॉक सीमा संबंधी पोर...
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवसः बड़ी शुरुआत, बड़ा फायदा

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवसः बड़ी शुरुआत, बड़ा फायदा

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, नाप-तोल में गड़बड़ी, मनमाने दाम वसूलना, बगैर मानक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, सामान की बिक्री के बाद गारंटी अथवा वारंटी के बावजूद सेवा प्रदान नहीं करना इत्यादि समस्याओं से ग्राहकों का सामना अक्सर होता रहता है। ऐसी ही समस्याओं से निजात दिलाने और अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। वास्तव में यह उपभोक्ताओं को उनकी शक्तियों और अधिकारों के बारे में जागरूक करने का एक महत्वपूर्व अवसर है। उपभोक्ता आन्दोलन की नींव सबसे पहले 15 मार्च, 1962 को अमेरिका में रखी गई। 15 मार्च, 1983 से यह दिवस हर साल मनाया जाता है। भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत मुंबई में वर्ष 1966 में हुई। तत्पश्चात पुणे में 1974 में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद कई राज्यों में उपभोक्ता कल्याण के लिए संस्थाओं का गठन किया ...