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हिन्दुत्व, भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पहचान

हिन्दुत्व, भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पहचान

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- डॉ. प्रशांत बड़थ्वाल  हिन्दुत्व ऐसी अवधारणा है जो भारतीय समाज और राजनीति में गहरी जड़ें जमाए हुए है। यह शब्द केवल एक धार्मिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि एक जीवन दर्शन, सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय चेतना का भी प्रतीक है। हिन्दुत्व को समझने के लिए, जैसा कि कहा गया है, व्यक्ति को सर्वप्रथम 'स्व' को जागृत करना होगा। यह आत्म-जागृति की प्रक्रिया न केवल व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज और राष्ट्र के स्तर पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिन्दुत्व की अवधारणा को समझने के लिए, हमें इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक आयामों का गहन अध्ययन करना होगा। यह विचारधारा भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन ज्ञान और परंपराओं से उत्पन्न हुई है, लेकिन समय के साथ इसने कई परिवर्तन और विकास देखे हैं। आधुनिक संदर्भ में, हिन्दुत्वने एक राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन का रूप ले लिया है, जो भा...
हिन्दुत्व में है ‘मानवीय जीवन मूल्यों पर संकट का’ समाधान

हिन्दुत्व में है ‘मानवीय जीवन मूल्यों पर संकट का’ समाधान

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- हृदयनारायण दीक्षित मानवीय जीवन मूल्यों पर संकट है। इतिहास के किसी अन्य कालखण्ड में इस तरह का मानवीय संकट नहीं था। समाचार माध्यम भी जब कब विश्वयुद्ध की आशंका की बातें करते हैं। विचार ही मनुष्य जाति के वाह्य स्वरूप और आंतरिक उदात्त भाव के प्रसारक रहे हैं। विचार भी अपना प्रभाव खो रहे हैं। मानवीय सभ्यता आधुनिक काल का मनुष्य विरोधी प्रेरक तत्व बन गई है। वातावरण में निश्चिन्तता नहीं है। संदेह और अनिश्चितता का वातावरण है। मनुष्य जाति भविष्य के भय से डरी हुई है। धन का प्रभाव और धन का अभाव दोनों ही मारक हैं। मानवता का बड़ा भाग पर्याप्त भोजन से वंचित है। इस वर्ग में सामान्य चिकित्सा और शिक्षा, आश्रय-घर का अभाव है। आधुनिक सभ्यता के प्रभाव में अभावग्रस्त लोगों के सामने संकट है। विज्ञान के जानकार प्रकृति के तमाम रहस्य बता रहे हैं। निसंदेह वैज्ञानिक शोधों ने चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी उपलब्...
हिन्दुत्व से सभी का विकास, सभी का विश्वास

हिन्दुत्व से सभी का विकास, सभी का विश्वास

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- संजय तिवारी अभी केवल सात वर्ष ही हुए हैं। बीमार उत्तर प्रदेश अब विकसित उत्तर प्रदेश के रूप में एक अंतरराष्ट्रीय ब्रॉन्ड बन कर उभर रहा है। ब्रॉन्ड योगी जैसे सात्विक और सतत क्रियाशील नेतृत्व ने इस अति पिछड़े और माफियाओं की जकड़ में घुट रहे प्रदेश को आज ब्रॉन्ड यूपी बनाकर दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया है। विश्व की औद्योगिक, वाणिज्यिक और व्यापारिक संस्थाएं उत्तर प्रदेश को अपना कार्यक्षेत्र बना रही हैं। लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है और लाखों करोड़ की मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव पड़ रही है। 2017 के बाद 2024 का उत्तर प्रदेश अब बिलकुल अलग है। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उस क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी और श्रम की उपलब्धता के साथ ही कानून व्यवस्था उत्तम हो। सामान्य जन सुरक्षित महसूस करें। कोई भी औद्योगिक इकाई या व्यापारिक गतिविधि तभी सफल होकर परिणाम दे सकती है। 2017 स...

हिन्दुत्व में प्रेय श्रेय साथ-साथ

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- हृदय नारायण दीक्षित भारतीय राष्ट्र जीवन में आनंदमय जीवन की अभिलाषा है। इस अभिलाषा को पूरा करने की आचार संहिता भी है। यह संहिता हिन्दू धर्म है। इस आचार संहिता में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। गांधी जी अहिंसा को उत्कृष्ट जीवन मूल्य बताते थे। इस आदर्श का प्रेरणा केन्द्र हिन्दुत्व है। संप्रति दुनिया में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आंधी है। भारत में यह सेक्युलरवाद के रास्ते हिन्दू धर्म को भी कालवाह्य घोषित करने पर आमादा है। अन्य पंथ रिलीजन अपनी कट्टरता के चलते वैज्ञानिक दृष्टिकोण को श्रेष्ठ नहीं मानते। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अनुचित नहीं है। वैज्ञानिकों ने प्रकृति के तमाम रहस्यों को उघाड़ने का काम किया है। अंधविश्वासी मतों, पंथों को भी चुनौती मिली है। विज्ञान सत्य की खोज करता है। समाज ऐसी खोजों का उपयोग करता है। समाज इनका दुरुपयोग भी करता है। हिन्दू दर्शन का उद्देश्य केवल सत्य का निर्वचन करना ह...

हिन्दुत्व भारतीय जीवनशैली का माधुर्य गीत

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- ह्रदय नारायण दीक्षित हिन्दुत्व भारतीय जीवनशैली का मधु है। इस मधु में विशेष प्रकार का माधुर्य है। यह किसी एक वृक्ष का मधु प्रसाद या रस नही है। मधुमक्खियां अनेक पौधों के फूलों तक गीत गाते जाती हैं। पुष्प रस संग्रह करते समय पुष्प पर बैठती नहीं हैं। वे फूल को चोट नही पहुंचाती हैं। प्रायः उड़ते-उड़ते हर एक पुष्प से रस लेती हैं। मधु अनेक वृक्षों, पौधों के फूलों का रस होता है। हिन्दुत्व भी ऐसा ही मधुसार है। तमाम विचार, अनेक उत्सव, अनेक परंपराएं, अनेक देवों व उनकी उपासनाओं का रस है हिन्दुत्व। हिन्दू संस्कृति एक है। अनेक रूपों वाली यह संस्कृति अपनी मूल आत्मा में एक है। भारत भूमि हजारों वर्ष से जिज्ञासा की तपस्थली रही है। सतत् शोध और बोध की धरती। ऋग्वेद से लेकर आधुनिक भारत तक यहां की मेधा ने अनुभूति और वैज्ञानिक विवेक का सारभूत ज्ञान रस संग्रहीत किया है। यहां अनेक दार्शनिक विचारधारा उगीं। पूर्व मीम...

हिन्दुत्व में समग्र मानवीय अनुभूति

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- ह्रदय नारायण दीक्षित हिन्दुत्व भारत की प्रकृति है और संस्कृति भी। यह भारत के लोगों की जीवनशैली है। इस जीवनशैली में सभी विश्वासों के प्रति आदर भाव है। लेकिन भारतीय राजनीति के आख्यान में हिन्दुत्व के अनेक चेहरे हैं। उग्र हिन्दुत्व, मुलायम (साफ्ट) हिन्दुत्व, साम्प्रदायिक हिन्दुत्व आदि अनेक विशेषण मूल हिन्दुत्व पर आक्रामक हैं। अंग्रेजी भाषान्तर में हिन्दुत्व को हिन्दुइज्म कहा जाता है। इज्म विचार होता है। विचार 'वाद' होता है। वाद का प्रतिवाद भी एक विचार होता है। पूंजीवाद- कैप्टलिज्म है। समाजवाद सोशलिज्म है। इसी तरह कम्युनिज्म है। अंग्रेजी का हिन्दुइज्म भी हिन्दूवाद का अर्थ देता है। लेकिन हिन्दुत्व हिन्दूवाद नहींं है। हिन्दुत्व समग्र मानवीय अनुभूति है। वीर होना वीरवाद नहींं होता, वीर होने का भाव वीरता है। दयावान होना दयावाद नहींं दयालुता है। हिन्दू होना हिन्दुता या हिन्दुत्व है। कुछ विद्वान ह...