शताब्दी वर्ष का संघ संकल्प
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सकारात्मक भाव भूमि पर हुई थी। इसमें नकारात्मक चिंतन के लिए कोई जगह नहीं है। हिन्दू समाज को संगठित करने का ध्येय था। संघ की संरचना में शाखाएं सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं। यहीं से सामाजिक संगठन और निःस्वार्थ सेवा का संस्कार मिलता है। इसमें मातृभूमि की प्रार्थना की जाती है-नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि। यह भाव राष्ट्र को सर्वोच्च मानने की प्रेरणा देता है। समाज के प्रति सकारात्मक विचार जागृत होता है। स्वयंसेवकों के समाज सेवा कार्य इसी भावना से संचालित होते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में प्रवेश करने से पहले चाहता है कि वह देश के सभी मंडलों तक शाखाओं का विस्तार कर दे। इसके लिए हरियाणा में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में विस्तार से चर्चा हुई। मंडल स्तर पर शाखाओं का विस्तार महत्वपूर्ण है। संघ का...