Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

Tag: Hindu

स्वातंत्र्यवीर सावरकर और हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान

स्वातंत्र्यवीर सावरकर और हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा स्वातंत्र्यवीर सावरकर (विनायक दामोदर सावरकर) की 28 मई को 140वीं जयंती है। वह सारी उम्र हिन्दू, हिन्दी और हिन्दुस्तान के लिए जिये। भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, इतिहासकार, राष्ट्रवादी और प्रखर विचारक वीर सावरकर हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा के उन्नयन के प्रथम शिखर पुरुष हैं। वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार वीर सावरकर हिन्दुत्व के पुरोधा हैं। उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद, प्रत्यक्षवाद, मानवतावाद, सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व हैं। वह सभी धर्मों के रूढ़िवादी विचारों के विरोधी थे। वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र में नासिक के भागुर गांव में मां राधाबाई तथा पिता दामोदर पन्त सावरकर के घर पर हुआ था। इनके दो भाई गणेश (बाबाराव) व नारायण दामोदर सावरकर तथा एक बहन नैनाबाई थीं। वीर सावरकर नौ ...
पाकिस्तान में हिंदू-भारत विरोधी नेता संकट में क्यों

पाकिस्तान में हिंदू-भारत विरोधी नेता संकट में क्यों

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में आजकल एक अजीब तरह का इत्तेफाक देखने में आ रहा है। आटे की कमी और महंगाई की मार से त्रस्त और पस्त झेलते पाकिस्तान में इमरान खान के तीन करीबी नेताओं पर शरीफ सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। ये सभी घनघोर भारत तथा हिन्दू विरोधी बयानबाजी करने के कारण बदनाम रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के गृहमंत्री शेख राशिद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी जेल भी जा चुके हैं। इन दोनों पर सरकारी कामकाज में बाधा उत्पन्न करने के आरोप हैं। कश्मीरी मूल के शेख राशिद रावलपिंडी के उसी गॉर्डन कॉलेज में पढ़े हैं जिसमें सशक्त अभिनेता बलराज साहनी और उनके अनुज तथा महान कथाकार भीष्म साहनी पढ़ते थे। शेख राशिद बेहद हल्के इंसान हैं। उनकी किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखकर उनके गटर छाप होने का अंदाजा लग जाता है। उनके तीन काम हैं। वे या तो शरीफ बंधुओं को कोस र...

जपो निरन्तर एक ज़बान, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान..

अवर्गीकृत
- गौरव अवस्थी भारतेंदु युग के प्रमुख स्तंभ पंडित प्रताप नारायण मिश्र की अल्प आयु में पिता की मृत्यु के चलते औपचारिक पढ़ाई तो बहुत नहीं हो पाई लेकिन स्वाध्याय के बल पर वह पत्रकारिता और साहित्य के प्रकांड पंडित बने। परवर्ती साहित्यकारों और संपादकों में तो उनके प्रति सम्मान का भाव था ही पूर्ववर्ती साहित्यकार भी उनके पांडित्य से प्रभावित रहा करते थे। 24 सितंबर 1856 को जन्मे पंडित प्रताप नारायण मिश्र के जन्म स्थान को लेकर साहित्यकारों में कुछ मतभेद हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल और डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल ने उनके जन्म स्थान के रूप में कानपुर को मान्यता दी है। इनका मत है कि पंडित प्रताप नारायण के पिता पंडित संकटा प्रसाद मिश्र को परिवार पालन के लिए 14 वर्ष की अल्पायु में कानपुर आना पड़ा। इसलिए उनका (प्रताप नारायण) जन्म कानपुर में ही हुआ होगा लेकिन अपने संपादन में 'प्रताप नारायण मिश्र कवितावली' प्रकाश...
भारत में हिंदू अल्पसंख्यक हैं?

भारत में हिंदू अल्पसंख्यक हैं?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय में आजकल एक अजीब-से मामले पर बहस चल रही है। मामला यह है कि क्या भारत के कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक माना जाए या नहीं? अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक होने का फैसला राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए या राज्यों के स्तर पर? अभी तक सारे भारत में जिन लोगों की संख्या धर्म की दृष्टि से कम है, उन्हें ही अल्पसंख्यक माना जाता है। इस पैमाने पर केंद्र सरकार ने मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों, सिखों, बौद्धों और जैनियों को अल्पसंख्यक होने की मान्यता दे रखी है। यह मान्यता इन लोगों पर सभी प्रांतों में भी लागू होती है। जिन प्रांतों में ये लोग बहुसंख्यक होते हैं, वहां भी इन्हें अल्पसंख्यकों की सारी सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे समस्त अल्पसंख्यकों की संख्या सारे भारत में लगभग 20 प्रतिशत है। अब अदालत में ऐसी याचिका लगाई गई है कि जिन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें वहां भ...