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हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई एक सामाजिक क्रांतिः शिवराज

हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई एक सामाजिक क्रांतिः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
-"एक दीपक हिन्दी के नाम" कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि प्रदेश में 16 अक्टूबर से एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी (MBBS study Hindi) में होगी। यह एक सामाजिक क्रांति (social revolution) है। अब गरीब, मध्यम वर्गीय और किसान के बेटा-बेटी भी हिन्दी में पढ़ाई कर सकेंगे। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) इस दिन एक नया इतिहास (creates a new history) रचने जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूरा करने की दिशा में मध्य प्रदेश आगे बढ़ रहा है। मध्य प्रदेश मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी भाषा में कराने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। मुख्यमंत्री चौहान शनिवार शाम को रोशनपुरा चौराहे पर “एक दीपक हिन्दी के नाम” कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर हिन्दी को समर्पित किया। इस मौके भाजपा के संगठन म...
हिन्दीः संयुक्त राष्ट्र संघ की सातवीं भाषा बनने के मायने

हिन्दीः संयुक्त राष्ट्र संघ की सातवीं भाषा बनने के मायने

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- डॉ. विपिन कुमार हिन्दी की हमारी राष्ट्रीय एकता और विकास में बड़ी भूमिका है। यह न सिर्फ हमारी अस्मिता की पहचान है, बल्कि हमारे आदर्शों, संस्कृति और परम्परा की परिचायक भी है। यह अपनी सरलता, सहजता और सुगमता के कारण एक वैज्ञानिक भाषा के रूप में निरंतर नई पहचान कायम कर रही है। हालांकि, हिन्दी के लिए यहां तक पहुंचने की राह आसान नहीं रही है। जैसा कि भारत शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्यों में रहा है। लेकिन, इसके बावजूद कुछ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों की वजह से हम हिन्दी को इसकी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए दशकों तक संघर्ष करते रहे। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने में हमने तो प्रयास किए ही, लेकिन इस कड़ी में हमें मॉरीशस, रूस जैसे देशों से भी हर मौके पर काफी मदद मिली है। साल 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुवाई ...

जपो निरन्तर एक ज़बान, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान..

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- गौरव अवस्थी भारतेंदु युग के प्रमुख स्तंभ पंडित प्रताप नारायण मिश्र की अल्प आयु में पिता की मृत्यु के चलते औपचारिक पढ़ाई तो बहुत नहीं हो पाई लेकिन स्वाध्याय के बल पर वह पत्रकारिता और साहित्य के प्रकांड पंडित बने। परवर्ती साहित्यकारों और संपादकों में तो उनके प्रति सम्मान का भाव था ही पूर्ववर्ती साहित्यकार भी उनके पांडित्य से प्रभावित रहा करते थे। 24 सितंबर 1856 को जन्मे पंडित प्रताप नारायण मिश्र के जन्म स्थान को लेकर साहित्यकारों में कुछ मतभेद हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल और डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल ने उनके जन्म स्थान के रूप में कानपुर को मान्यता दी है। इनका मत है कि पंडित प्रताप नारायण के पिता पंडित संकटा प्रसाद मिश्र को परिवार पालन के लिए 14 वर्ष की अल्पायु में कानपुर आना पड़ा। इसलिए उनका (प्रताप नारायण) जन्म कानपुर में ही हुआ होगा लेकिन अपने संपादन में 'प्रताप नारायण मिश्र कवितावली' प्रकाश...

देश की धड़कन हिंदी

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- रमेश सर्राफ धमोरा दुनिया में भारत सबसे ज्यादा विविध संस्कृतियों वाला देश है। धर्म, परंपराओं और भाषा में इसकी विविधता के बावजूद यहां के लोग एकता में विश्वास रखते हैं। भारत में विभिन्न बोलियां बोली जाती हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हिंदीबोली, लिखी व पढ़ी जाती है। इसीलिए हिंदी भारत की सबसे प्रमुख भाषा है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया था कि हिंदी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद 1953 से देश में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हिंदी के ज्यादातर शब्द संस्कृत, अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। यह मुख्य रूप से आर्यों और पारसियों की देन है। इस कारण हिंदी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। अंग्रेजी में मात्र 10 हजार मूल शब्द हैं। इसके मुकाबले हिंदी के मूल शब्दों की संख्या 2 लाख 50 हजार से भी अधिक है। हिंदी विश्व की एक प्राचीन,स...

संविधान सभा में आज ही शुरू हुई थी हिंदी राजभाषा के प्रश्न पर बहस

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- गौरव अवस्थी आज 13 सितंबर है। हिंदी दिवस के संदर्भ में 12,13 और 14 सितंबर का अहम स्थान है। 12 सितंबर को ही संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा बनाए जाने के तैयार किए गए मसौदे पर आए 300 से अधिक संशोधनों पर दिलचस्प बहस शुरू हुई थी। हिंदी और अहिंदी भाषी राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच गरमागरम यह बहस लोकसभा सचिवालय द्वारा 1994 में प्रकाशित की गई 'भारतीय संविधान सभा के वाद विवाद की सरकारी रिपोर्ट' का अहम दस्तावेज है। हिंदी को राज या राष्ट्रभाषा बनाए जाने से जुड़े संशोधनों पर संविधान सभा में हुई बहस में पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सेठ गोविंद दास, एन गोपालस्वामी आयंगर, अलगू राय शास्त्री, आरबी धुलेकर, मौलाना हसरत मोहानी, वीएन गाडगिल, नजीरउद्दीन अहमद, मौलाना हिफजुररहमान, श्रीमती जी. दुर्गाबाई , डॉ. रघुवीर, मोहम्मद इस्माइल, शंकर...

राजभाषा को जीवन की भी भाषा बनाएं

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- प्रो. संजय द्विवेदी गुजरात के सूरत में 14 सितंबर से शुरू होने वाले दो दिवसीय द्वितीय राजभाषा सम्मेलन पर सिर्फ और सिर्फ फौरी तौर पर यह जरूरी है कि हम राजभाषा की विकास बाधाओं पर बात जरूर करें। यह भी पहचानें कि राजभाषा किसकी है और राजभाषा की जरूरत किसे है? लंबे समय बाद दिल्ली में एक ऐसी सरकार है जिसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रमुख नेता राजभाषा को लेकर बहुत संजीदा हैं। प्रधानमंत्री ने भारत ही नहीं विश्व मंच पर हिंदी में बोलकर आम हिंदुस्तानी को आत्मविश्वास से भर दिया है। आज हमारे प्रमुख मंत्रीगण राजभाषा हिंदी में बोलते और उसमें व्यवहार करते हैं। इसी तरह गृह मंत्री अमित शाह जो स्वयं गुजराती भाषी हैं, का भी हिंदी प्रेम जाहिर है। वे राजभाषा की उपयोगिता और उसकी शक्ति को जिस तरह पारिभाषित करते हैं, वह अप्रतिम है। अभी पिछले माह भोपाल में हुआ उनका व्याख्यान हो या पिछले वाराणसी राजभाषा सम्मे...

द्रौपदी मुर्मू के हिन्दी में शपथ लेने का संदेश तो समझिए

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- आर.के. सिन्हा भारत के 15 वें राष्ट्रपति पद की शपथ हिन्दी में लेकर द्रौपदी मूर्मू ने सारे देश को एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश दिया है। मूल रूप से ओडिशा से संबंध रखने वाली द्रौपदी मूर्मू अगर उड़िया या किसी अन्य भाषा में भी शपथ लेती तो कोई अंतर नहीं पड़ता। देश को अपनी सभी भाषाओं और बोलियों पर गर्व है। वो हिन्दी में शपथ लेकर अचानक से सारे देश में पहुंच गईं। समूचे देश ने उन्हें हिंदी में शपथ लेते हुए देखा-सुना। बेशक, हिन्दी देश की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। इस संबंध में कोई विवाद नहीं हो सकता। हिन्दी की सारे देश में स्वीकार्यता है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ भी रही है। अगर छुद्र राजनीति को छोड़ दिया जाए तो इसे सारे देश में बोली और समझी जाती है। कुछ समय पहले ही देश के आठ पूर्वोतर राज्यों के स्कूलों में दसवीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य रूप से पढ़ाने पर वहां की राज्य सरकारें राजी हो चुक...

मेडिकल की हिंदी में पढ़ाई, मप्र को भायी

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक आजादी के 75 वें साल में मैकाले की गुलामगीरी वाली शिक्षा पद्धति बदलने की शुरुआत अब मध्य प्रदेश से हो रही है। इसका श्रेय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग को है। मैंने पिछले साठ साल में म.प्र. के हर मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि मेडिकल और कानून की पढ़ाई वे हिंदी में शुरू करवाएं लेकिन मप्र की वर्तमान सरकार भारत की ऐसी पहली सरकार है, जिसका भारत की शिक्षा के इतिहास में नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। केंद्र सरकार म.प्र. से प्रेरणा ग्रहण कर समस्त विषयों की उच्चतम पढ़ाई का माध्यम भारतीय भाषाओं को करवा दे तो भारत को अगले एक दशक में ही विश्व की महाशक्ति बनने से कोई ताकत रोक नहीं सकती है। विश्व की जितनी भी महाशक्तियां हैं, उनमें उच्चतम अध्ययन और अध्यापन स्वभाषा में होता है। डॉक्टरी की पढ़ाई मप्र में हिंदी माध्यम से होने के कई फायदे ह...