बाजार ने समझी हिंदी की ताकत, हम भी समझें
- डॉ. अशोक कुमार भार्गव
हिंदी दिवस (14 सितंबर) हमारी अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा और राजभाषा के प्रति निष्ठा, वचनबद्धता, ममत्व लगाव और भावनात्मक जुड़ाव प्रकट करने का अवसर है । यह हिंदी के प्रचार-प्रसार, विकास और विस्तार के लिए संकल्प लेने का दिवस भी है । विश्वभर में हिंदी के प्रति चेतना जागृत करने वाले हिंदी हितैषियों, लेखकों, रचनाधर्मियों और साहित्यकारों की श्रेष्ठता को सम्मानित करने पावन दिन भी है। इसके साथ ही हिंदी की वर्तमान स्थिति का सिंहावलोकन कर उसकी प्रगति पर चिंतन और मनन करने का स्मारक दिवस भी है।
भारतेंदु जी ने कभी बड़ी गहराई में उतर कर लिखा था- 'निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल, पै निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल'। निसंदेह है किसी भी राष्ट्र के विकास की बुनियाद उसकी निजी भाषा की संपन्नता में ही निहित होती है। विदेशी भाषा 'हिय के सूल' की अभिव्यक्ति में समर्थ नहीं होती। ह...