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सुमित्रानंदन पंत की कविता और इंद्रधनुष के रंग

सुमित्रानंदन पंत की कविता और इंद्रधनुष के रंग

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- मृत्युंजय दीक्षित हिंदी साहित्य के प्रकृति प्रेमी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कुमाऊं की पहाड़ियों में स्थित बागेश्वर के गांव कौसानी में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित गंगादत्त एवं मां का नाम सरस्वती देवी था। जन्म के कुछ घंटों के भीतर ही उनकी मां का निधन हो गया था। उनका पालन-पोषण उनकी दादी के हाथों हुआ। पंत अपने भाई -बहनों से सबसे छोटे थे और बचपन में उनका नाम गोसाई दत्त रखा गया। शिक्षाः पंत जी की प्रारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा जिले में हुई। 18 वर्ष की उम्र में गोसाईदत्त नाम से ही हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्हें अपना यह नाम पसंद नही आ रहा था। अतः उन्होंने अपना नाम बदल कर सुमित्रानंदन पंत कर लिया । हाईस्कूल के बाद वे स्नातक करने इलाहाबाद विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां स्नातक की पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े। वह स्नातक नहीं...

मुंशी प्रेमचंद: आम आदमी की कलम

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- योगेश कुमार गोयल आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह और उपन्यास सम्राट महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद ने अपने लेखन के माध्यम से न सिर्फ दासता के विरुद्ध आवाज उठाई बल्कि लेखकों के उत्पीड़न के विरुद्ध भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने उपन्यासों और कहानियों के अलावा नाटक, समीक्षा, लेख, संस्मरण इत्यादि कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। प्रेमचंद ऐसे कहानीकार और साहित्यकार हैं जिन्हें आज भी सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है। उन्हें ‘आम आदमी का साहित्यकार’ भी कहा जाता है। चूंकि उनकी लगभग सभी कहानियां आम जीवन और उसके सरोकारों से ही जुड़ी हैं, इसीलिए उनके सबसे ज्यादा पाठक आम लोग रहे हैं। दरअसल उन्होंने अपने सम्पूर्ण लेखन में एक आम गरीब आदमी की पीड़ा को न केवल समझा बल्कि अपनी कहानियों और उपन्यासों के जरिये उसका निदान बताने का प्रयास भी किया। उन्होंने अपनी लगभग सभी रचनाओं में आम आदमी की भावनाओं, उनकी परिस्थितियों, ...