Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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ईरान में हिजाब पर जन आक्रोश

ईरान में हिजाब पर जन आक्रोश

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक ईरान में हिजाब के मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ लिया है। पिछले दो माह में 400 लोग मारे गए हैं, जिनमें 58 बच्चे भी हैं। ईरान के गांव-गांव और शहर-शहर में आजकल वैसे ही हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जैसे कि अब से लगभग 50 साल पहले शंहशाहे-ईरान के खिलाफ होते थे। इसके कारण तो कई हैं लेकिन यह मामला इसलिए भड़क उठा है कि 16 सितंबर को एक मासा अमीनी नामक युवती की जेल में मौत हो गई। उसे कुछ दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में उसकी बुरी तरह से पिटाई हुई थी। उसका दोष सिर्फ इतना था कि उसने हिजाब नहीं पहन रखा था। हिजाब नहीं पहनने के कारण पहले भी कई ईरानी स्त्रियों को बेइज्जती और सजा भुगतनी पड़ी है। कई युवतियों ने तो टीवी चैनलों पर माफी मांग कर अपनी जान बचाई। यह जन आक्रोश तीव्रतर रूप धारण करता जा रहा है। अब लोग न तो आयतुल्लाहों के फरमानों को मान रहे हैं और न ही राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी...
हिजाब मजहबी सवाल है ही नहीं

हिजाब मजहबी सवाल है ही नहीं

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक हिजाब को लेकर आजकल सुप्रीम कोर्ट में जमकर बहस चल रही है। हिजाब पर जिन दो न्यायमूर्तियों ने अपनी राय जाहिर की है, उन्होंने एक-दूसरे के विपरीत बातें कही हैं। अब इस मामले पर कोई बड़ी जज-मंडली विचार करेगी। एक जज ने हिजाब के पक्ष में फैसला सुनाया है और दूसरे ने विरोध में तर्क दिए हैं। हिजाब के मसले पर भारत के हिंदू और मुसलमान संगठनों ने लाठियां बजानी शुरू कर रखी हैं। दोनों एक-दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी कर रहे हैं। असल में यह विवाद शुरू हुआ कर्नाटक से। इसी साल फरवरी में कर्नाटक के कुछ स्कूलों ने अपनी छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने पर प्रतिबंध लगा दिया था। सारा मामला वहां के हाई कोर्ट में गया। उसने फैसला दे दिया कि स्कूलों द्वारा बनाई गई पोशाक-संहिता का पालन सभी छात्र-छात्राओं को करना होगा। लेकिन मेरा निवेदन यह है कि हमारे नेतागण और स्कूलों के अधिकारी हिजाब के मसले ...

ईरान में हिजाब पर कोहराम

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक मुस्लिम औरतें हिजाब पहने या नहीं, इस मुद्दे को लेकर ईरान में जबरदस्त कोहराम मचा हुआ है। जगह-जगह हिजाब के विरुद्ध प्रदर्शन हो रहे हैं। कई लोग हताहत हो चुके हैं। तेहरान विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने हड़ताल कर दी है। ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खुमैनी के खिलाफ खुले-आम नारे लग रहे हैं। विभिन्न शहरों और गांवों में हजारों पुलिसवाले तैनात कर दिए गए हैं। ऐसा लग रहा है कि ईरान में शहंशाह के खिलाफ जो माहौल सन 1975-78 में देखने में आया था, उसकी पुनरावृत्ति हो रही है। कई बड़े शिया नेता भी हिजाब का विरोध करने लगे हैं। यह कोहराम इसलिए शुरू हुआ है कि महसा आमीनी (22 ) नामक युवती को तेहरान में गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि उसने हिजाब नहीं पहना हुआ था। गिरफ्तारी के तीन दिन बाद 16 सितंबर को जेल में ही उसकी मौत हो गई। उसके सिर तथा अन्य अंगों पर भयंकर चोट के निशान थे। इस घटना ...

हिजाबः हिंदुस्तानी औरतें अरब की नकल क्यों करें ?

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- डा. वेदप्रताप वैदिक आजकल सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है कि कर्नाटक की मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनें या न पहनें? हाई कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी को उचित ठहराया है। यहां बहस यह नहीं है कि हिजाब पहनना उचित है या नहीं? सिर्फ स्कूल की छात्राएं पहने या न पहनें, यह प्रश्न है। इस मुद्दे पर पहला सवाल तो यही उठना चाहिए कि हिजाब पहना ही क्यों जाए? क्या इसलिए पहना जाए कि डेढ़ हजार साल पहले अरब देशों की औरतें उसे पहनती थीं? उनकी नकल हिंदुस्तान की औरतें क्यों करें? क्या उन अरब औरतों की नकल हमारी लड़कियां करेंगी तो क्या वे बेहतर मुसलमान बन जाएंगी? हमारे भारतीय मुसलमान भी समझते हैं कि वे अरबों की तरह कपड़े पहनें, दाढ़ी रखें, टोपी पहनें तो वे बेहतर मुसलमान बन जाएंगे। मेरा निवेदन यह है कि बेहतर मुसलमान बनने के लिए अरबों की नकल करना जरूरी नहीं है। जरूरी है कुरान शरीफ की उत्तम शिक्षाओं पर अमल करना। भारत, पाकिस्त...