Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: higher bliss

सुराज के सपनों का अमृत संकल्प

अवर्गीकृत
- ह्रदय नारायण दीक्षित स्वाधीनता उच्चतर आनंद है और पराधीनता असह्य दुख है- पराधीन सपनेहु सुख नाही। पराधीन व्यक्ति समाज और राष्ट्र अपनी संस्कृति का आनंद नहीं ले सकते। उनके जीवन में मुक्त रस प्रवाहमान नहीं होता। भारत के लोग लगभग 200 वर्ष तक ब्रिटिश सत्ता के अधीन रहे। विदेशी सत्ता ने भारत को लूटा। यहां से कच्चा माल इंग्लैंड ले गए। वहां से यहां पक्का माल लाते रहे। भारत के उद्योगतंत्र का यहां सर्वनाश हुआ। ईसाई भय लोभ और षड्यंत्र से भारतवासी गरीबों का धर्मांतरण कराते रहे। पराधीन भारत का मन ब्रिटिश सत्ता ने तोड़ा। 1857 में पहला स्वाधीनता संग्राम हुआ। ब्रिटिश सत्ता का सिंहासन हिल गया। लड़ाई जारी रही। स्वाधीनता संग्राम में सेनानी नहीं झुके। 1942 में भारत छोड़ो की घोषणा हुई। अंततः 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत स्वाधीन हो गया। हम भारत के लोगों ने अपना संविधान बनाया। संस्थाएं बनाईं। भारत में संविधान का शास...