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योगी के तंज में छुपी, भविष्य की राजनीति

योगी के तंज में छुपी, भविष्य की राजनीति

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बारिश के दौरान मोटरसाइकिल सवार एक व्यक्ति और उसकी पत्नी पर सड़क पर भरा पानी उछालने और महिला को खींचकर गिराने के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अपनाया है। इसकी गूंज विधानसभा तक में सुनाई दी। मुख्यमंत्री ने सदन में दो आरोपितों का नाम लिया, जिस पर जमकर राजनीति भी हो रही है। योगी ने जिन आरोपितों का नाम लिया उनमें एक मुस्लिम और एक यादव था, जिसका मकसद मुख्य विपक्षी दल सपा पर निशाना साधना था। योगी ने तंज भरे अंदाज में कहा, ''यह सद्भावना वाले लोग हैं? यानी अब इनके लिए सद्भावना ट्रेन चलाएंगे?…नहीं इनके लिए बुलेट ट्रेन चलेगी।'' सभी आरोपितों के नाम सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री योगी को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि अपराधियों की न जाति होती है और न धर्म लेकिन योगी आदित्यनाथ ने सदन में उनकी धार...
संत कबीर के दोहों में छुपा जीवन का मर्म

संत कबीर के दोहों में छुपा जीवन का मर्म

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- योगेश कुमार गोयल मध्यकालीन युग के महान कवि संत कबीर दास ने अपना सारा जीवन देशाटन करने और साधु-संतों की संगति में व्यतीत कर दिया और अपने उन्हीं अनुभवों को उन्होंने मौखिक रूप से कविताओं अथवा दोहों के रूप में लोगों को सुनाया। इनमें जीवन का मर्म छुपा है। अपनी बात लोगों को बड़ी आसानी से समझाने के लिए उन्होंने उपदेशात्मक शैली में लोक प्रचलित और सरल भाषा का प्रयोग किया। उनकी भाषा में ब्रज, अवधी, पंजाबी, राजस्थानी तथा अरबी फारसी के शब्दों का मेल था। अपनी कृति सबद, साखी, रमैनी में उन्होंने काफी सरल और लोक भाषा का प्रयोग किया है। गुरु के महत्व को सर्वोपरि बताते हुए समाज को उन्होंने ज्ञान का मार्ग दिखाया। संत कबीर सदैव कड़वी और खरी बातें करने वाले ऐसे स्वच्छंद विचारक थे, जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास, अंध श्रद्धा और आडम्बरों की कड़ी आलोचना करते हुए समाज में प्रेम, सद्भावना,...