Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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बेमौसम की भारी बरसात: फसलों को हुए नुकसान की कैसे हो भरपाई

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर खेती किसानी अब तुक्का हो गई है, सही सलामत फसल कट जाए तो समझो बड़ी गनीमत है। वरना, कुदरत का प्रकोप उन्हें नहीं छोड़ता। बीते तीन वर्षों से लगातार बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ रखी है। जब फसल पक कर खेतों में खड़ी होती है तभी बारिश हो जाती है और उसे बर्बाद कर देती है। किसान चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। अन्नदाताओं को बेमौसम की बारिश ने एक बार फिर तबाह कर दिया। किसान खेतों में जाकर बर्बाद हुई फसलों को मायूसी भरी निगाहों से देख रहे हैं। तेज बौछारों ने हजारों-लाखों हेक्टेयर फसल चौपट कर दी। कई महीनों की मेहनत पर क्षण भर में पानी फिर गया। अपने खेतों में बेचारे असहाय खड़े होकर कुदरत के कहर से बर्बाद होती फसलें देखते रहे। किसानों के लिए उनकी फसलें नवजात शिशु समान होती हैं जिसे वह छह महीने अपनी औलाद की तरह पालता-पोसता है। जब यही फसल नुमा बच्चे उनकी आंखों के सामने ओझल हो जाएं, तो उनके ...

सूडान में भारी बारिश का कहर, अब तक 50 से ज्यादा की मौत, हजारों घर डूबे

विदेश
काहिरा । सूडान (Sudan) में मौसमी मूसलाधार बारिश (rain) के कारण आई बाढ़ (flood) में अब तक 50 से अधिक लोगों की मौत (Death) हो गई है और 8,170 से अधिक मकान जलमग्न हो गए हैं. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. सूडान की राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल-जलील अब्दुल रहीम ने कहा कि उत्तरी कोर्दोफन प्रांत में 19 लोगों की मौत हुई है, इसके बाद नील नदी प्रांत में सात लोगों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी दारफुर क्षेत्र, जिसमें पांच प्रांत हैं, में 16 लोगों की मौत हुई है. उन्होंने यह नहीं बताया कि पहली घटना कब हुई. सूडान का बरसात का मौसम आमतौर पर जून में शुरू होता है और सितंबर तक रहता है, अगस्त और सितंबर में बाढ़ चरम पर होती है. पिछले साल भी बाढ़ से 80 लोगों की मौत देश की सरकारी ‘सुना’ समाचार एजेंसी के अनुसार, अब्दुल रहीम ने कहा कि इस साल अब ...