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वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की फिर तबीयत बिगड़ी, अपोलो में भर्ती

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की फिर तबीयत बिगड़ी, अपोलो में भर्ती

देश
नई दिल्ली (New Delhi)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता (Senior Bharatiya Janata Party (BJP) leader) लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को बुधवार रात 9 बजे के आसपास दिल्ली के अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital, Delhi) में भर्ती कराया (Admitt) गया है। डॉ विनीत सूरी की निगरानी में जांच की जा रही है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। अपोलो अस्पताल की ओर से यह जानकारी दी गई है। बता दें कि पिछले एक सप्ताह में दूसरी बार उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। इससे पहले 26 जून को भी भी उन्हें खराब स्वस्थ को लेकर दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। यूरोलॉजी से जुड़ी समस्या को लेकर यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ अमलेश सेठ उनका इलाज किया था। तब उन्हें एक दिन के इलाज के बाद 27 जून की देर रात अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।...
वित्त मंत्री सीतारमण ने स्वास्थ और शिक्षा क्षेत्र के साथ की बजट पूर्व चर्चा

वित्त मंत्री सीतारमण ने स्वास्थ और शिक्षा क्षेत्र के साथ की बजट पूर्व चर्चा

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री (Union Finance and Corporate Affairs Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को नई दिल्ली में आगामी आम बजट 2024-25 ( upcoming General Budget 2024-25 ) की तैयारियों के मद्देनजर स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ बजट पूर्व चर्चा की। वित्त मंत्रालय ने ‘एक्स’ पोस्ट पर जारी एक बयान में बताया कि निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित आम बजट 2024-25 के लिए नौवें बजट पूर्व परामर्श बैठक में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ चर्चा की। इन दोनों क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने वित्त मंत्री को अपने सुझाव दिए और विचार रखे। बजट पूर्व परामर्श बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी वित्त सचिव और व्यय विभाग के सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, राजस्व विभाग के सचिव के साथ उच्च श...
खेत, खेती और सेहत पर भारी रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग

खेत, खेती और सेहत पर भारी रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग खेत, खेती और सेहत पर भारी पड़ रहा है। देश में रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग को इसी से समझा जा सकता है कि आजादी के समय 1950-51 में देश में 7 लाख टन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग होता था। एक मोटे अनुमान के अनुसार आज देश में 335 लाख टन से अधिक रासायनिक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है। इसमें 75 लाख टन उर्वरकों का तो आयात करना पड़ रहा है। यूरिया से नाइट्रोजन चक्र प्रभावित होता है और उससे ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन बढ़ने से पर्यावरण प्रभावित होता है। दरअसल समस्या की जड़ दूसरी ओर है और वह यह कि उर्वरकों के संतुलित उपयोग के स्थान पर अंधाधुंध उपयोग से अधिक हालात खराब हुए हैं। देश में उर्वरकों की खपत का विश्लेषण किया जाए तो केन्द्र शासित प्रदेशों सहित 797 जिलों में से केवल ओर केवल 292 जिलों में ही देश में उर्वरकों की कुल खपत की 83 फीस...
कोरोना त्रासदी और स्वास्थ्य सजगता

कोरोना त्रासदी और स्वास्थ्य सजगता

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कार्प के हालिया सर्वे में एक बात साफ हो गई है कि अब लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता पहले से अधिक बढ़ी है। अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कार्प समय-समय पर सर्वे कराकर लोगों के मूड को समझता रहता है। पिछले साल के अंत में कराए गए इस सर्वे में साफ हुआ है कि अब लोग युवावस्था में ही भौतिक संसाधन जुटाने, खान-पान के प्रति सजगता और हेल्दी टिप्स पर जोर देने लगे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कोरोना के बाद देश-दुनिया के लोगों की प्राथमिकताओं में तेजी से बदलाव आया है। एक समय था जब लोग बचत को ही प्राथमिकता देते थे। अब लोगों की प्राथमिकता में स्वास्थ्य पहले पायदान पर आ गया है। इसमें भी खासतौर से मानसिक स्वास्थ्य और एक्सरसाइज को लेकर लोग अधिक गंभीर होने लगे हैं। लोगों में वर्कआउट के प्रति रुझान बढ़ा है। जबकि एक समय था जब वर्कआउट के लिए जिम जाने को स्टेट...
खराब न होने दें अपनी माटी का स्वास्थ्य

खराब न होने दें अपनी माटी का स्वास्थ्य

अवर्गीकृत
- अरुण कुमार दीक्षित हम सबके जीवन में माटी का बड़ा महत्व है। चाहे हम भारत में हों या दुनिया के किसी भी देश में हों, बात जब माटी की होगी तब भारत का ही नाम लेते हैं। अपनी माटी अपनी ही है। हमारे लोकजीवन में बार-बार माटी की बात होती है। कथित आधुनिक सोच ने मिट्टी को डस्ट और एलर्जी वाली वस्तु बताना काफी पहले शुरू किया। इससे माटी के प्रति हमारी अवधारणा भी बहुत हद तक प्रभावित हुई है। पहले घर भी माटी के होते थे। आज भी गांवों में माटी के बहुत सारे घर हैं। यह और बात है कि आर्थिक-सामाजिक परिवर्तन के कारण अब पक्के घर अधिक दिखाई देते हैं। माटी के घरों की पुताई माटी से ही होती थी। नीचे माटी, ऊपर माटी, सब तरफ माटी ही प्रयोग होती रही है। घर में गृहस्थी के नाम पर सबसे अधिक माटी के बर्तन होते थे, जिन्हें हम गगरी, घड़ा ,कलश, मटका,सुराही आदि नाम से जानते हैं। अब गांव और नगर दोनों में सुराही के पानी पर चर्च...
जी20 अब महिलाओं, बच्चों व किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण की दिशा में करे कार्य

जी20 अब महिलाओं, बच्चों व किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण की दिशा में करे कार्य

अवर्गीकृत
- अमिताभ कांत/ हेलेन क्लार्क वैश्विक स्तर पर सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की दृष्टि से महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में निवेश करना बेहद महत्वपूर्ण है। हर वर्ष, सभी जी20 देशों में कुल मिलाकर लगभग दो मिलियन माताओं, नवजात शिशुओं, बच्चों और किशोरों की मौतें होती हैं। इनमें मृत बच्चों का जन्म भी शामिल है। इन सभी मौतों को रोका जा सकता है। हाल के वर्षों में, इन नकारात्मक परिणामों के प्रमुख कारकों में “चार सी” शामिल हैं: कोविड-19, संघर्ष (कनफ्लिक्ट), जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) और जीवन-यापन की बढ़ती लागत का संकट (कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस)। इन कारकों ने संयुक्त रूप से महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण को भारी नुकसान पहुंचाया है। प्रणालीगत भेदभाव और मौसम की चरम घटनाओं, खाद्य असुरक्षा एवं गरीबी में वृद्धि महिलाओं, बच्चों व किशोरों की स्वास्थ्य संबंधी प्रगति में प...
समग्र जीवन का उत्कर्ष है योग

समग्र जीवन का उत्कर्ष है योग

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र आज के सामाजिक जीवन को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हर कोई सुख, स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि के साथ जीवन में प्रमुदित और प्रफुल्लित अनुभव करना चाहता है। इसे ही जीवन का उद्देश्य स्वीकार कर मन में इसकी अभिलाषा लिए आत्यंतिक सुख की तलाश में सभी व्यग्र हैं और सुख है कि अक्सर दूर-दूर भागता नजर आता है। आज हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब हर कोई किसी न किसी आरोपित पहचान की ओट में मिलता है। दुनियावी व्यवहार के लिए पहचान का टैग चाहिए पर टैग का उद्देश्य अलग-अलग चीजों के बीच अपने सामान को खोने से बचाने के लिए होता है। टैग जिस पर लगा होता है उसकी विशेषता से उसका कोई लेना-देना नहीं होता। आज हमारे जीवन में टैगों का अम्बार लगा हुआ है और टैग से जन्मी इतनी सारी भिन्नताएं हम सब ढोते चल रहे हैं। मत, पंथ, पार्टी, जाति, उपजाति, नस्ल, भाषा, क्षेत्र, इलाका समेत जाने कितने तरह के टैग भेद का आधार बन...
मप्रः प्रदूषण से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के अध्ययन के लिए एम्स और पीसीबी में हुआ करार

मप्रः प्रदूषण से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के अध्ययन के लिए एम्स और पीसीबी में हुआ करार

देश, मध्य प्रदेश
- भावी पीढ़ी की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये यह पहल बनेगी मिसाल भोपाल (Bhopal)। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Madhya Pradesh Pollution Control Board) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) के मध्य मंगलवार को 'पर्यावरण प्रदूषण (environmental pollution) का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव' (effects on human health) पर संयुक्त अध्ययन और अनुसंधान के लिये एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। दोनों संस्थान के विषय-विशेषज्ञों द्वारा किया गया यह अध्ययन भावी पीढ़ी की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये देश में एक नई मिसाल कायम करेगा। एमओयू पर बोर्ड के सदस्य सचिव चन्द्रमोहन ठाकुर और एम्स के निदेशक एवं कार्यपालन अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने हस्ताक्षर किये। इस मौके पर बोर्ड के सदस्य सचिव ठाकुर ने कहा कि दोनों संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त अध्ययन से यह पता लगेगा कि वातावरण में उपस्थि...
प्रसन्नता भारतीय राष्ट्रभाव का अंग

प्रसन्नता भारतीय राष्ट्रभाव का अंग

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास समाधान नेटवर्क की हाल में जारी विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट की खासी चर्चा है। प्रसन्नता रिपोर्ट हर साल 20 मार्च के आसपास जारी की जाती है। वर्ष 2023 की रिपोर्ट में 136 देशों को शामिल किया गया है। प्रसन्नता को मापने के लिए छह प्रमुख आधार बताए गए हैं। पहला सामाजिक सहयोग है। आय, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति भी आधार हैं। ताजा रिपोर्ट में फिनलैंड प्रथम है। डेनमार्क दूसरा है। तीसरा आइसलैंड है। रिपोर्ट में अफगानिस्तान को सबसे बुरा प्रदर्शनकर्ता बताया गया है। 136 देशों की सूची में भारत को 125वां स्थान दिया गया है। वर्ष 2022 में 146 देशों में भारत 136वें स्थान पर था। रिपोर्ट की मानें तो भारत नेपाल, चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पडोसी देशों से भी पीछे है। राष्ट्रीय प्रसन्नता सूचकांक की धारणा 1972 में भूटान से प्रारम्भ हुई थ...