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हमीरपुर के एक गांव में दशहरे के दिन हुआ था भीषण संघर्ष

हमीरपुर के एक गांव में दशहरे के दिन हुआ था भीषण संघर्ष

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सुमेरपुर विकास खण्ड के ग्राम विदोखर में एक दिन रावण पर राम की विजय के कारण तो उसके अगले दिन दशहरे के दिन क्षत्रियों के बीच हुए भीषण संघर्ष के कारण विजय दशमी दशहरा पर्व मनाने की परम्परा चली आई है, जिसे चौबीसी का दशहरा नाम से जाना जाता रहा है, किन्तु पांच सौ वर्ष पुरानी परम्परा टूट जाने से चौबीसी का दशहरा इतिहास बनकर रह गया है। बिदोखर पुरई के पूर्व प्रधान रणविजय सिंह ने बताया कि क़रीब पांच सौ वर्ष पूर्व उन्नाव जनपद के डोडिया खेर गांव से व्यापार के लिए वैश्य क्षत्रियो का एक बड़ा जत्था बैल गाड़ी व घोड़े पर सवार होकर व्यापार के लिए बिदोखर सहित आसपास के गावों में अक्सर आया करता था, एक बार यह जत्था विदोखर से होते हुए आगे की ओर जा रहा था, तभी गांव के दक्षिण दिशा में रंगी कुआं देख जत्था विश्राम के लिए रुक गया था। कुएं का पानी गंदा हो जाने पर बगरी जाति के युवा क्षत्रियों ने जत्थे के लोगों को बेरहमी से...

अंग्रेजों के वीरभूमि छोडऩे पर हमीरपुर में सेनानियों ने फहराया था तिंरगा

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-अंग्रेजों के भागने के बाद पूरे गांव में जलाए गए थे दीपक हमीरपुर जिले में क्रांतिकारियों का गढ़ माने जाने वाले गांव में अंग्रेजों के भागने के बाद एतिहासिक मंदिर के सामने तिरंगा फहराकर हजारों ग्रामीणों ने जश्न मनाया था। पूरे क्षेत्र में आजादी के जश्न में घर-घर दीये जलाए गए थे। हमीरपुर जिले के मुस्करा थाना क्षेत्र के गहरौली गांव में बांके बिहारी जू मंदिर स्थित है। इसका इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। मंदिर में पहले अवध बिहारी महंत होते थे जिनके चमत्कार को आज भी गांव के लोग याद करते है। मंदिर के पुजारी राजा भैया दीक्षित ने बताया कि जिले का यही एक मंदिर है जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अतीत को संजोए है। मंदिर की देखरेख करने वाले विमल चन्द्र गुरुदेव ने बताया कि इस मंदिर को सरकारी स्तर पर संवारने के लिए कोई मदद नहीं मिली है लेकिन स्वयं के खर्च से मंदिर को नए आयाम दिए गए है। क्षेत्रीय पुरा...