Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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‘महिला अग्निवीरों’ से और सशक्त हुई भारतीय नौसेना

‘महिला अग्निवीरों’ से और सशक्त हुई भारतीय नौसेना

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- डॉ. रमेश ठाकुर नौसेना बल की उपलब्धियां और राष्ट्र में उनके योगदान का वर्णन जितना किया जाए, उतना कम होगा। आज भारत में ही नहीं, पूरे वर्ल्ड में हमारी नौसेना की वाहवाही होती है, क्योंकि वह दिनों दिन अपने नए-नए प्रयोगों से नित नई ऊंचाइयां छू रही है। इस कड़ी में अब एक और नया अध्याय जुड़ गया है। नौसेना में आधी आबादी ने दस्तक दे दी है। इसी सीजन में एक हजार ‘अग्निवीर महिला सैनिक’ नौसेना में शामिल हुई हैं जिससे इस टुकड़ी की न सिर्फ ताकत बढ़ी, बल्कि उनके अनुशासन कार्यान्वयन में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आना शुरू हुआ। आज ‘नौसेना दिवस’ है। इस बार ये दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें अब महिलाओं की भी सहभागिता सुनिश्चित हो गई है। नौसेना में पहली मर्तबा ‘नौसेनिक पोत’ पर महिला कमांडिंग अधिकारी को नियुक्त किया गया। सरकार का ये कदम निश्चित रूप से अकल्पनीय और सराहनीय है। महिला सशक्तिकरण में भारत ने एक और कदम...
डेंगू के डंक की जद में दुनिया की आधी आबादी

डेंगू के डंक की जद में दुनिया की आधी आबादी

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा देश-दुनिया में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस साल के देश के आंकड़ों की ही बात करें तो डेंगू से मरने वालों की संख्या लगभग 100 के आंकड़े को छू रही है। अकेले केरल में डेंगू के कारण 38 लोगों की मौत की सूचना है। डेंगू की गंभीरता को देखते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दो दिन पहले उच्चस्तरीय बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए हैं। दरअसल हमारे देश में डेंगू का पीक सीजन जुलाई से अक्टूबर तक रहता है। वैसे, डेंगू अब किसी देेश की सीमा में बंधा नहीं है और दुनिया के 129 देशों या यों कहें कि दुनिया की आधी आबादी के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। देश-दुनिया की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने डेंगू बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट अतिश्योक्तिपूर्ण मानें तब भी इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि डेंगू आज और ...
आधी आबादी, बड़ी आजादी

आधी आबादी, बड़ी आजादी

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री यह देश की महिलाओं की लिए वाकई में गर्व करने के लिए सबसे बड़ा पल है। आखिरकार 21 सितंबर को लोकसभा और विधानसभाओं में उनके लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित होने का रास्ता साफ हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 128वें संविधान संशोधन विधेयक के गुरुवार को संसद से पारित होने को देश की लोकतांत्रिक यात्रा का एक ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि यह भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत है। उन्होंने यह टिप्पणी विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद की।लोकसभा ने बुधवार को ही इसे मंजूरी दे दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा-हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण। 140 करोड़ भारतीयों को बधाई। उन्होंने इस विधेयक के पक्ष में मतदान करने वाले सभी सदस्यों का आभार जताया और कहा कि इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में खुशी ...
आधी आबादी और समानता की आस

आधी आबादी और समानता की आस

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- डॉ. निवेदिता शर्मा संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरेश ने हाल ही में विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को हरसम्भव समर्थन देने की की घोषणा की है। निसंदेह इससे इस क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन के अनुसार, स्कूलों में लड़कियों की संख्या पहले की तुलना में कहीं अधिक है, लेकिन विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, और गणित विषयों में उनका प्रतिनिधित्व अब भी कम है। हर तीन में से केवल एक शोधकर्ता महिला है। कृत्रिम बुद्धिमता जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में इनकी संख्या और भी कम है। यहां हर पांच में से केवल एक महिला ही कार्यरत है। देखा जाए तो चिंता का विषय इतना भर नहीं है कि विज्ञान अथवा तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं के साथ न्याय नहीं हो रहा। व्यवहार में सच यही है कि जो देश स्वयं को बहुत विकसित मानते हैं, वहां भी लैंगिक समानता का अभाव हर स्तर...
आधी आबादी के लिए न्यूजीलैंड से सुखद संदेश

आधी आबादी के लिए न्यूजीलैंड से सुखद संदेश

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा दुनिया में आधी दुनिया को सबसे पहले मताधिकार देने वाले देश न्यूजीलैंड से यह सुखद संदेश भी आ गया है कि वहां की संसद में महिलाओं की संख्या अब पुरुषों से अधिक हो गई है। न्यूजीलैंड की संसद में 59 पुरुषों के मुकाबले अब 60 महिला सांसद हो गई है। उदारवादी लेबर पार्टी की नेता सोराया पेके मैशन ने पिछले दिनों सांसद के रूप में शपथ ली है। न्यूजीलैंड ने 1893 में ही महिलाओं को मताधिकार देकर दुनिया के देशों के सामने एक मिसाल कायम कर दी थी। हालांकि यह भी विचारणीय हो सकता है कि करीब 130 साल से भी अधिक समय के बाद संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी आधी हुई है पर इसे सकारात्मक सोच के साथ देखा जाना चाहिए। देखा जाए तो दुनिया के करीब आधा दर्जन देश ऐसे हैं जहां की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अच्छा खासा है। खासतौर से रवांडा ऐसा देश है जहां संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 61 फीसदी से भी ...